Shiv Katha.
🔱 भगवान शिव की अनंत महिमा 🔱
भगवान शिव के विषय में चाहे जितना भी लिखा जाए, वह कभी पर्याप्त नहीं हो सकता। क्योंकि असीम को शब्दों की सीमा में बाँधना असंभव है। जिनकी कोई सीमा नहीं — जिनका आदि न अंत — उनकी लीला का वर्णन वाणी और कलम के द्वारा कहाँ तक संभव है?
फिर भी मानव प्रयास करता है — पुराणों की रचना होती है: शिव पुराण, लिंग पुराण, स्कंद पुराण — जो शिव की महिमा का गुणगान करते हैं। मनुष्य को चाहिए कि वह अपने इष्ट का नाम-स्मरण, कीर्तन, मनन-चिंतन करता रहे, और अन्य लोगों को भी प्रेरित करे।
🌿 मानव जीवन का उद्देश्य:
मनुष्य जीवन यूँ ही नहीं मिला — ८४ लाख योनियों से गुजर कर यह अमूल्य अवसर प्राप्त होता है। यह जीवन केवल भोग और विलास के लिए नहीं है। मनुष्य योनि को छोड़कर बाकी सब भोग योनियाँ कहलाती हैं — जहाँ आत्मोन्नति नहीं होती।
लेकिन मनुष्य को सोचने की शक्ति, विवेक, और ध्यान की अद्भुत क्षमता दी गई है — जिससे वह सत्य का बोध कर सके, अपने जीवन को सार्थक बना सके, और मोक्ष की दिशा में आगे बढ़ सके।
🕉️ डिस्क्लेमर:
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की पूर्ण प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती। यह लेख पुराणों, धर्मग्रंथों, प्रवचनों, पंचांगों, ज्योतिषियों तथा अन्य धार्मिक स्रोतों से प्रेरित है। हमारा उद्देश्य केवल धार्मिक चेतना का प्रसार करना है। पाठक इस जानकारी को श्रद्धा एवं विवेक से ग्रहण करें। इस लेख के किसी भी प्रयोग की जिम्मेदारी स्वयं पाठक की होगी
सूचना: यह लेख शिवपुराण एवं अन्य प्राचीन धर्मग्रंथों से प्रेरित है। इसमें प्रस्तुत घटनाएँ, पात्र और संवाद भावात्मक एवं सांस्कृतिक व्याख्या के रूप में हैं। यह मूल ग्रंथ का शाब्दिक अनुवाद नहीं, बल्कि श्रद्धा एवं जन-कल्याण की दृष्टि से लिखा गया भावानुवाद है। 🔸 हमारा उद्देश्य केवल धार्मिक चेतना, आध्यात्मिक जागरण और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार का है। यदि कोई तथ्य/संदर्भ ग्रंथों से भिन्न हो तो कृपया उसे आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखा।
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