सूत जी कहते हैं--- जो श्रवण कीर्तन और मनन के अनुष्ठान में समर्थ ना हो वह भगवान शंकर के लिंग एवं मूर्ति की स्थापना कर नित्य उसकी पूजा करें तो संसार सागर से पा…
और पढ़ेंयह प्रसंग शिव पुराण से लिया गया है व्यास जी कहते हैं सूत जी का यह वचन सुन सब महर्षि बोले--' अब आप हमें वेदांतसार -सर्वस्वरूप अद्भुत शिवपुराण की कथा सुनाइ…
और पढ़ेंजो आदि और अंत मे तथा मध्य में भी नित्य मंगलमय है, किसी से भी इनकी तुलना नहीं की जा सकती है, जो आत्मा के स्वरूप को प्रकाशित करने वाले परमात्मा है। जिनके पांच म…
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