“शिवपुराण के माध्यम से भगवान शंकर का दिव्य ज्ञान, भक्ति और ध्यान का अनुभव करें।”

शिवपुराण: भगवान शंकर का दिव्य ग्रंथ

शिवपुराण: भगवान शंकर का दिव्य ग्रंथ और चेतना का अनुभव

कल्पना कीजिए – आप प्रयाग के पावन संगम के पास खड़े हैं। चारों ओर गंगा और जमुना की निर्मल धारा बह रही है। इस पावन वातावरण में आपकी दृष्टि उन दिव्य महापुरुषों पर पड़ती है, जिन्होंने शिवपुराण का ज्ञान योग आयोजित किया

जो आदि, अंत और मध्य में नित्य मंगलमय हैं, जिनकी तुलना कोई नहीं कर सकता, वही आत्मा के स्वरूप को प्रकाशित करने वाले परमात्मा हैं – भगवान शिव, अंबिका पति और पाँचमुखी ईश्वर।

ये वही शिव हैं, जो खेल-खेल में इस जगत की सृष्टि, पालन और संहार करते हैं। मैं अपने मन ही मन उच्चतम भगवान शंकर का स्मरण और ध्यान करता हूँ।

मुख्य कथा – प्रयाग में ज्ञान योग

व्यास जी का आयोजन: महर्षि व्यास जी ने प्रयाग में ज्ञान योग और पुराणाचार का आयोजन किया। वहां उपस्थित मुनिगणों ने संपूर्ण ध्यान और भक्ति से शिव का आह्वान किया।

महामुनि सूत जी का आगमन: व्यास जी के शिष्य महामुनि सूत जी दर्शन करने आए। मुनिगणों ने हर्ष से कहा:

“आप भाग्यशाली हैं। आपने व्यास जी के मुख से संपूर्ण पुराण विद्या प्राप्त की। आप ज्ञान और कथा के भंडार हैं।”

सूत जी का उत्तर: सूत जी बोले:

“हे मुनिगणो, आप लोगों के प्रेम और स्नेह के कारण मैं इस विषय का वर्णन करूंगा। आदर सहित इसे सुनिए। सबसे उत्तम शिवपुराण संपूर्ण वेदांत का सार है।”

शिवपुराण का महत्त्व और संरचना

संहिता श्लोक संख्या
एकादश रुद्र संहिता 9,000
सहस्त्र कोटि संहिता 11,000
वायवीय संहिता 4,000
धर्म संहिता 12,000
कुल 36,000 श्लोक

महर्षि व्यास जी ने इसे संक्षेप कर 24,000 श्लोकों में प्रस्तुत किया, ताकि इसे पढ़ना और ध्यान करना आसान हो। शिवपुराण पुराणों में चौथा स्थान रखता है।

ध्यान और अभ्यास

ध्यान प्रारंभ करें

“ॐ नमः शिवाय”

अब आंखें बंद करें, गहरी सांस लें और इस मंत्र का स्मरण करें। इसे उच्चारण करते हुए शिवपुराण के ज्ञान, शक्ति और दिव्यता का अनुभव अपने हृदय में महसूस करें। ध्यान करें कि शिव की शक्ति न केवल सृष्टि के संचालन में है, बल्कि आपके अंतरात्मा के प्रकाश में भी है।

निष्कर्ष

शिवपुराण केवल ग्रंथ नहीं, बल्कि भक्ति, ध्यान और चेतना का अनुभव है। इसे पढ़ने और स्मरण करने से आपको शिव का दिव्य तेज, शक्ति और शांति अनुभव होती है। यह ग्रंथ हमें सत्य, धर्म और चेतना के मार्ग पर चलना सिखाता है।

डिस्क्लेमर: यह ब्लॉग सामग्री शिवपुराण पर आधारित है। इसमें वर्णित कथाएँ और ज्ञान धार्मिक ग्रंथों से ली गई हैं। पाठक ध्यान या साधना का अभ्यास केवल योग्य गुरु या शिक्षक के मार्गदर्शन में करें। लेखक, प्रकाशक या वेबसाइट इस अभ्यास या साधना के परिणामों के लिए कोई जिम्मेदारी या उत्तरदायित्व स्वीकार नहीं करते। इस ब्लॉग का उद्देश्य केवल ज्ञान और भक्ति का प्रसार है।

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