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Shiv Katha

 नटराज शिव

देवी पार्वती जी को वचन देने के बाद भगवान शिव भक्तों के वश में होने के कारण माता पार्वती जी का हाथ मांगने हिमालय राज के यहां पहुंचे।

नट का वेश ः-

‌‌अत्यंन्त झिलमिलाते रेशमी वस्त्र धारण कर, सिर पर अत्यंत मुलायम पगड़ी पहने हुए बहुत ही शानदार महादेव ने नट का वेश धारण किया।

उनके सौंदर्य का सामना तो करोड़ो कामदेव भी मिलकर नहीं कर पाते, इसी रूप की छवि के लिए माता पार्वती ने धोर तपस्या की, कड़ाके की ठंड में , बर्फ की सिल्ली पर पंचाक्षर मंत्र का जप करती, 


भरी गर्मी में प्रचंड अग्नि के सम्मुख पंचाक्षर मंत्र का जप करती, घनघोर वर्षा में एक पैर पर खड़ी होकर पंचाक्षर मंत्र का जप करती, यह सब एक या दो वर्ष नहीं बल्कि हजारों वर्ष तक नियमित जप किया।


भोजन करना भी छोड़ दिया, केवल पत्तों का आहार करती, इसलिए उनको अपर्णा भी कहा जाता है, उसी तपस्या के फलस्वरूप देवाधिदेव महादेव वशीभूत होकर नट वेश में हिमालय राज के यहां पहुंचे।

विभिन्न प्रकार की कलाओं का प्रदर्शन:-

जब शिव हिमालय राज के यहां पहुंचे, तो देखा दरबार खचाखच भरा हुआ था। कई प्रकार के विद्वान वहां अपनी -अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे।

भगवान शिव अपनी कला के प्रदर्शन के लिए0 प्रतीक्षा करने लगे।

आखिरकार महादेव को अपनी कला के प्रदर्शन के लिए अनुमति मिल गई।

गायन

सर्व प्रथम नटराज शिव को अपनी गायन कला का प्रदर्शन करना पड़ा, जब प्रभु गाने लगे, तो समस्त स्वर लहरियां,  राग- रागिनी उनके मुखारविंद से निकलने लगी, जब प्रभु सामवेद की ऋचाओं का गान करने लगे तो सारी जनसभा मदहोश हो गई।


हिमालय राज ने अपने सम्पूर्ण जीवन में इस प्रकार का अद्भुत गायन नहीं सुना था। वह बोले हे नटराज आपने अद्भुत गायन प्रस्तुत किया है।

वादन 

नटराज शिव ने नट वेश में ही वादन कला का अद्भुत प्रदर्शन किया खासकर तो मृदंग, झांझ, ढोल, के प्रदर्शन पर सारी जनसभा मंत्रमुग्ध हो गयी।

नृत्य 

अब नृत्य की बारी थी, संसार की सारी विद्याएं, कलाएं तो भगवान शिव के डमरू से निकली हुई है।उसी डमरू को बजाकर भगवान शिव ने सौम्य रूप से सारी नृत्य कला का प्रदर्शन किया।

ज्ञान प्रदर्शन 

इसके पश्चात प्रभु से सभी विषयों पर विद्वानों ने, मनीषियों ने, तत्ववेत्ताओं ने अद्भुत प्रश्न पूछे।
भगवान शिव ने सभी को संतुष्ट किया।

हिमालय राज का वचन :-

हिमालय राज शिव वेश धारी नट को पहचान नहीं पाये ,बोले कि हे नट आपने मेरे हृदय को जीत लिया है मांगो क्या आप चाहते है जो भी मांगो मैं उन सभी वस्तुओं को देने का वचन देता हूं।

भगवान शिव की मांग :-

नट वेश धारी भगवान शिव ने हिमालय राज से कहा कि यदि आप मुझसे  प्रसन्न हैं तो मेरा विवाह अपनी पुत्री से करवा दिजिए।


डिस्क्लेमर:-

इस लेख में दी गई जानकारी /सामग्री/गणना की प्रमाणिकता/या प्रमाणिकता की पहचान नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों /ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धर्मग्रंथों/धर्म ग्रंथों से संदेश द्वारा यह सूचना आपको प्रेषित की गई है। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना आप  तक  प्रेषित करना  है। पाठक या उपयोगकर्ता को जानकारी समझ में आ जाती है। इसके अतिरिक्त  इस  लेख  के किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं पाठक या उपयोगकर्ता की होगी।










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