Shiv Katha" शिव ने शक्ति को धारण किया – एक दिव्य दृष्टि"
- ॐ
नटराज शिव: जब महादेव नट बनकर आए
देवी पार्वती जी को वचन देने के बाद, भगवान शिव भक्तों के वश में होकर नट रूप में हिमालय राज के दरबार पहुंचे।
🔸 नट का वेश
झिलमिलाते रेशमी वस्त्र, सिर पर मखमली पगड़ी, सौंदर्य ऐसा कि करोड़ों कामदेव भी फीके पड़ जाएं।
यही वह रूप था, जिसकी प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने हज़ारों वर्षों तक पंचाक्षर मंत्र का जप किया।
तप में पत्तों का सेवन किया, ठंड में बर्फ पर, गर्मी में अग्नि के समक्ष और वर्षा में एक पैर पर खड़ी रहीं — इसीलिए उन्हें अपर्णा भी कहा जाता है।
🔸 कला का प्रदर्शन
हिमालय दरबार में अनेक विद्वानों के बीच शिव जी को अपनी कला दिखाने का अवसर मिला।
🎵 गायन
शिव जी के मुख से जब सामवेद की ऋचाएं प्रकट हुईं, तो सारा दरबार मदहोश हो गया। हिमालय राज बोले — “हे नटराज! ऐसा अद्भुत गायन मैंने जीवन में नहीं सुना।”
🥁 वादन
मृदंग, ढोल, झांझ की अद्भुत संगति — सारी सभा मंत्रमुग्ध हो गई।
💃 नृत्य
शिव के डमरू से सारी विद्याएं निकली हैं। उसी डमरू के संग शिव ने नृत्य का प्रदर्शन किया — सौम्यता, शक्ति और लय का अद्भुत संतुलन।
📚 ज्ञान🎭 नटराज शिव: जब महादेव नट बनकर आए
देवी पार्वती जी को वचन देने के बाद, भगवान शिव भक्तों के वश में होकर नट रूप में हिमालय राज के दरबार पहुंचे।
🔸 नट का वेश
झिलमिलाते रेशमी वस्त्र, सिर पर मखमली पगड़ी, सौंदर्य ऐसा कि करोड़ों कामदेव भी फीके पड़ जाएं।
यही वह रूप था, जिसकी प्राप्ति के लिए पार्वती जी ने हज़ारों वर्षों तक पंचाक्षर मंत्र का जप किया।
तप में पत्तों का सेवन किया, ठंड में बर्फ पर, गर्मी में अग्नि के समक्ष और वर्षा में एक पैर पर खड़ी रहीं — इसीलिए उन्हें अपर्णा भी कहा जाता है।
🔸 कला का प्रदर्शन
हिमालय दरबार में अनेक विद्वानों के बीच शिव जी को अपनी कला दिखाने का अवसर मिला।
🎵 गायन
शिव जी के मुख से जब सामवेद की ऋचाएं प्रकट हुईं, तो सारा दरबार मदहोश हो गया। हिमालय राज बोले — “हे नटराज! ऐसा अद्भुत गायन मैंने जीवन में नहीं सुना।”
🥁 वादन
मृदंग, ढोल, झांझ की अद्भुत संगति — सारी सभा मंत्रमुग्ध हो गई।
💃 नृत्य
शिव के डमरू से सारी विद्याएं निकली हैं। उसी डमरू के संग शिव ने नृत्य का प्रदर्शन किया — सौम्यता, शक्ति और लय का अद्भुत संतुलन।
📚 ज्ञान
तत्ववेत्ता, मनीषियों ने गूढ़ प्रश्न किए — पर महादेव ने सभी को संतुष्ट कर दिया।
🔸 हिमालय राज का वचन
हिमालय राज बोले — “हे नट, तुमने मेरे हृदय को जीत लिया। जो भी मांगो — मैं वचन देता हूँ।”
🔸 शिव की मांग
भगवान शिव ने कहा — “यदि आप प्रसन्न हैं, तो अपनी पुत्री का विवाह मुझसे कर दीजिए।”
इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, प्रवचनों, पंचांग व विभिन्न स्रोतों से संगृहीत है। इसका उद्देश्य आध्यात्मिक जागरूकता है। पाठक स्वयं विवेकपूर्वक इसका उपयोग करें।
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