भगवान शिव में लगातार मन लगाये रहने एवं मन को एकाग्र करके, सच्चे मन से हृदय में प्रभु का ध्यान करने के बाद कई वर्षों के पश्चात ,प्रभु के केवल कंठ के दर्शन …
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