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आकाशवाणी के द्वारा भगवान शिव की महिमा का वर्णन

 आकाशवाणी के द्वारा भगवान शिव की महिमा का वर्णन

दक्ष को श्राप:-

आकाश वाणी  का सम्बोधन

 

जब सती के द्वारा  योगाग्नि से स्वयं को भस्म कर लिया गया इस समय तीनों लोकों में हाहाकार  मच गया। और तभी आकाशवाणी हुई, सारे लोग आकाशवाणी को सुनने लगे और आकाशवाणी ने कहा अरे मूढ़ दक्ष,  महा मूर्ख जब महाशिव भक्त दधीच तुझे श्राप देते हुए यज्ञ से बाहर निकल गए ,तो क्या तुझे ज्ञान नहीं हुआ उसके बाद जब तुम्हारी स्वयं की पुत्री जो की जगत माता है, संसार की पूजनीय है जब वह आई तो तूने उनका भी निरादर किया।


भोग एवं  मोक्ष:-


 और तो और जब सती  आत्मदाह  को तत्पर हुई,  तो  भी तू नहीं आया, रे पापी मूर्ख दक्ष जो सती शिव स्वरूपा है, जो शिव की आदिशक्ति हैं ,जिनकी पूजा करने के बाद ही मनुष्य भोग और मोक्ष प्राप्त करता है।

जिनकी आराधना से सौभाग्य और संपत्ति प्राप्त होती है, जो की संपूर्ण जगत की माता है जो कि सूर्य चंद्र और ब्रह्मा की भी जननी है ऐसी जगत माता का तूने निरादर  किया,


ऐसी जगत माता के पति शिव जो की परमपिता है, उनका  मूर्ख अभिमानी दक्ष तुमने अपमान किया ।

 तुझे यह अभिमान हो गया था, तू घमंड में चूर हो गया था, कि तू ब्रह्मा जी का बेटा है ,और ब्रह्मा जी के पुत्र होने के नाते तेरा अहंकार इतना बढ़ गया कि तूने  साक्षात परम पिता परमेश्वर का अपमान किया।

और उनकी ही आदिशक्ति सती का निरादर किया रे मूर्ख दक्ष शिव तत्व को क्या नहीं जानता? जो संपूर्ण कर्म के कारण है जो संपूर्ण जगत के स्वामी उसका पालन पोषण करने वाले तथा विनाश करने वाले भी हैं।

उन देवाधिदेव  महादेव का  तूने  अपमान किया और तो और जहां अपनी पुत्री का सम्मान करना चाहिए ,जहां देवी सती कि सारा संसार पूजा करता है ,सारे देवता उनके सामने मस्तक झुकाते  है ।



सभी लोग उनके चरणों का आश्रय लेकर उनके चरणों को प्रणाम करके, उनके चरणों को हृदय में धारण करके शक्ति  संपन्न होते हैं।

दक्ष प्रजापति का अहंकार नष्ट  होना:-


 रे मूर्ख तूने उन्हीं  आदिशक्ति का अपमान किया, तेरे यह जितने भी सहायक हैं यह सब  यहां मारे जायेंगे,क्योंकि देवी सती परम पवित्र और दयालु और संपूर्ण जगत का कल्याण करने वाली है।


वह कल्याण के लिए ही तेरे द्वार पर आई थी लेकिन तेरे ही द्वार पर उन्होंने अपने आप को योगाग्नि  के द्वारा  भस्म कर दिया ।

रे मूर्ख क्या तुझे अपनी पुत्री पर दया नहीं आई? रे पापी, तेरा यज्ञ विध्वंस हो जाएगा, नष्ट हो जाएगा ,सारे लोग मारे जाएंगे।


इसलिए सारे देवताओं, ऋषियों,  यक्ष ,किन्नर ,तुम सभी लोग इस यज्ञ को छोड़कर भाग जाओ अन्यथा  सभी मारे जाओगे।


ब्रह्मा जी कहते हैं कि, आकाशवाणी ने कहा, अरे मूर्ख   दक्ष तेरा मुंह जो है यह जल जाएगा ,और तेरे जितने भी सहायक है तेरी सहायता नहीं कर पाएंगे ,भला परमेश्वर की शक्ति के आगे इस संसार में  कौन है?जो उनके  विरुद्ध  तेरी सहायता करेगा?


  ऐसा कौन है जो भगवान शिव के समक्ष एक क्षण भी टिक पायेगा ।  मूढ़  दक्ष तेरा विनाश, संपूर्ण विनाश निश्चित  है। और इस यज्ञ में जो भी तेरा  साथ दे रहे हैं उनकी मृत्यु भी निश्चित है। ऐसा  कह करके आकाशवाणी शान्त  हो गई।

डिस्क्लेमर:-

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Shiv Katha
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