शिव कथा और पूजा: गणेश स्तुति, गौरी स्मरण और पुष्पदंत की अद्भुत कहानी



शिव कथा और पूजा मार्गदर्शन

शिव कथा और पूजा मार्गदर्शन

1. गणेश स्तुति

गजानंद भूतगणादिसेवितं
कपित्थजंबूफलचारुभक्षणम।

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम।।

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लंबोदराय सकलाय जगद्धिताय।।

नागानाय श्रुतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

2. गौरी स्मरण

नमो देव्यै महादेव्यै शिवाय सततं नमः।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै सत्या: प्रणता: स्म ताम्।।

त्वं वैष्णवी शक्तिरनात्नवीरयां
विश्वस्य बीजं परमासि माया।।

सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुविमुक्तिहेतुः।।

3. पूजा का महत्व

अथर्ववेद में ऋषि कहते हैं:
कस्मै देवाय हविषा विद्याम
अर्थात हम किस देवता को हवी समर्पित करें?

समाधि और आत्मबोध से ज्ञात होता है कि महादेव, नीलकंठेश्वर, आशुतोष, भोले शंकर सर्वोच्च हैं। इसलिए हमें भगवान शिव को गुरु मानकर उनकी शिक्षा से पूजा करनी चाहिए।

3.1 पंचमहायज्ञ

  • ब्रह्म यज्ञ
  • यज्ञ
  • पितृ यज्ञ
  • देव यज्ञ
  • भूत यज्ञ

3.2 भाव पूजा

पूजा दिल से की जाती है, न कि केवल कर्म से। दृष्टांत: तुलसीदास जी और जगन्नाथपुरी। बालक द्वारा प्रसाद, और तुलसीदास जी का अनुभव यह दर्शाता है कि भाव पूजा ही सर्वोपरि है

4. शिव पूजा के उपचार

4.1 पांच उपचार

  • गंध
  • पुष्पांजलि
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य

4.2 दस उपचार

  • पाद्य
  • अध्य
  • आचमन
  • स्नान
  • वस्त्र निवेदन
  • गंध
  • पुष्पांजलि
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य

4.3 हल उपचार (16 उपचार)

  • पाद्य
  • अध्र्य
  • आचमन
  • स्नान
  • आभूषण
  • गंध
  • पुष्प
  • वस्त्र
  • धूप
  • दीप
  • नैवेद्य
  • आचमन
  • ताम्बूल
  • स्तवन
  • त्रयस्थ
  • नमस्कार

5. शिव को न चढ़ाने योग्य फूल

कदम्ब, सारहीन, कचूमर, केवड़ा, शिरिष, बकुल, तिन्तणी आदि।
किंतु कुछ शास्त्रों में इन फूलों का उपयोग उचित भी बताया गया है।

6. पुष्पदंत और शिव महिम्न स्त्रोत

पुष्पदंत ने राजा के उपवन में जाकर भगवान शिव के प्रिय पुष्पों का चयन किया। राजा द्वारा पकड़ने के बाद भी भगवान शिव ने पुष्पदंत को वरदान दिया, और उन्होंने शिव महिम्न स्त्रोत की रचना की। यह स्त्रोत आज भी करोड़ों लोगों के कल्याण के लिए उपयोगी है।

7. निष्कर्ष

  • भाव पूजा सर्वोपरि है।
  • पंचमहायज्ञ और उपचारों के साथ शिव पूजा करने से मनुष्य का कल्याण होता है।
  • पुष्पदंत का जीवन हमें सिखाता है कि श्रद्धा और समर्पण शिव भक्ति का मूल आधार हैं।

8. डिस्क्लेमर

अस्वीकरण: इस लेख में दी गई सूचना, कथा, पूजा विवरण और उपचार केवल शैक्षिक और धार्मिक ज्ञान के उद्देश्य से प्रस्तुत हैं। लेखक या वेबसाइट इसके आधार पर किसी प्रकार की पूजा, अनुष्ठान या धार्मिक क्रियाओं के परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है। कृपया अपनी धार्मिक प्रथा, परिवार और स्थानीय परंपराओं के अनुसार ही पूजा-अर्चना करें।

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