बिंदुग और चंचुला – शिवपुराण कथा, माता पार्वती के आदेश पर गंधर्वराज तुम्बरू का उद्धार

🔱 बिंदुग पिशाच की मुक्ति – शिवपुराण की कथा 🔱
शिवपुराण का यह प्रसंग माता पार्वती के आदेश से गंधर्वराज तुम्बरू द्वारा बिंदुग पिशाच को उद्धार देने का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।
माता पार्वती का आदेश
माता पार्वती जी ने गंधर्वराज तुम्बरू को बुलाया और कहा:
"तुम मेरे मन की बातें जानकर मेरे अभीष्ट कार्य को सिद्ध करने वाले हो। मेरी इस सखी के साथ विन्ध्य पर्वत पर जाओ। वहाँ एक महापिशाच रहता है। वह पूर्व जन्म में बिंदुग नामक ब्राह्मण था।"
बिंदुग का पाप और पिशाच रूप
- बिंदुग अपनी पत्नी चंच्चुला के साथ विवाह में था, परंतु दुष्ट और वेश्यागामी बन गया।
- धर्म, पूजा, संध्या का पालन छोड़कर उसने अपवित्र कर्मों में लिप्तता अपनाई।
- जुआ, हिंसा, घातक अस्त्र रखने, मद्यपान और पापपूर्ण दान देना उसकी दिनचर्या बन गई।
- मृत्यु के पश्चात वह यमपुरी में यातनाएँ भोगता हुआ पिशाच बन गया।
तुम्बरू का कार्य
माता पार्वती के आदेशानुसार तुम्बरू ने बिंदुग के समक्ष शिवपुराण की कथा का प्रवचन प्रारंभ किया।
- उन्होंने भव्य पंडाल का निर्माण कराया, जहाँ नाना प्रकार की रेशमी झालरें और सुगंधित पुष्पों से पांडाल सजाया गया।
- ऋषि, महर्षि, मुनि, नाग, गंधर्व सभी कथा सुनने के लिए उपस्थित हुए।
- गंधर्वराज तुम्बरू ने पिशाच को पाश द्वारा बाँधकर शिवपुराण का प्रवचन सुनाया।
शिवपुराण कथा का प्रभाव
- बिंदुग के सारे पाप धुल गए।
- पिशाच योनि त्याग कर उसने सौम्य और सुंदर देवतुल्य शरीर प्राप्त किया।
- बिंदुग अपनी पत्नी चंच्चुला के साथ विमान पर बैठकर तुम्बरू के साथ माता पार्वती के समक्ष गया।
- वह भगवान शिव का गुणगान करने लगा और पवित्र लोक को चला गया।
सार
भगवान शिव की पवित्र कथा का श्रवण न केवल पापियों को उद्धार देती है, बल्कि हृदय को शुद्ध और आत्मा को निर्मल करती है। यह कथा हमें यह सिखाती है कि भक्ति और कथा श्रवण से जीवन में **शांति, मोक्ष और कल्याण** प्राप्त होता है
डिस्क्लेमर (हिंदी)
यह लेख और ब्लॉग सामग्री शिव पुराण पर आधारित हैं और इसका उद्देश्य केवल धार्मिक, आध्यात्मिक और भक्ति जागरूकता प्रदान करना है। पाठक स्वयं के विवेक और पारंपरिक मार्गदर्शन के अनुसार ही पूजा विधि का पालन करें। लेखक या वेबसाइट किसी भी व्यक्तिगत, स्वास्थ्य या वित्तीय परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं है।
Disclaimer (English)
This article and blog content are based on the Shiva Purana and are intended solely for religious, spiritual, and devotional awareness. Readers are advised to exercise their own discretion, devotion, and traditional guidance before following any rituals or practices mentioned. The author or website is not responsible for any personal, health, or financial outcomes.
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