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Shiv pujaनवरात्रि विशेष

नवरात्रि के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा

धर्म का महत्व 

भारत के अन्दर   धर्म को  विशेष रूप से महत्व दिया गया है, धर्म की महिमा अपरंपार है, भारत के भीतर सभी धर्मों के लोग रहते हैं। और अपने-अपने धर्मों को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं । इसीलिए इस देश में अन्य देशों के अपेक्षा भाईचारा बहुत अधिक पाया जाता है।

यही कारण है कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति को अत्यधिक महत्व दिया जाता है,नवरात्री  भारतीयों का एक प्रमुख त्योहार है, यह नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा देवी को समर्पित है।




माता आदि शक्ति की आराधना 

मां दुर्गा देवी की बड़ी ही मनोयोग से इस पर्व में भगवान की प्रतिमा स्थापित की जाती है।  इस पर्व को बहुत ही धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है। नवरात्र पर्व के 9 दिनों में आदि शक्ति जगदंबा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है ।और 9 दिनों का भारतीय धर्म दर्शन में ऐतिहासिक महत्व है।


माता आदिशक्ति की पूजा शास्त्रीय विधि, विधान के अनुसार ही करना चाहिए जिसके अनुसार माता आदि शक्ति  साधक को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।

जब दुनिया में कोई संकट आता है, तो उससे जब सभी देवता हार जाते हैं, और कोई उपाय नहीं सूझता है, उस समय सभी देवता एक साथ मिलकर माता आदिशक्ति से प्रार्थना करते हैं। हे, माता हमें इस संकट से उबारो तब। करुणामई कह सुनकर के मां का हृदय द्रवित हो जाता है।

 और वह स्वयं उस दुष्ट शक्ति का संहार करने के लिए अवतरित हो जाती हैं कभी काली का रूप हैं, कभी चंडी का रूप है, और कभी साक्षात दुर्गा रूप में, असुरों का संहार करती हैं।

माता के नौ रूपों के देवता 

माता के नौ रूपों को ही पूजा अर्चना की जाती है हिंदू पौराणिक ग्रंथों में माता आदिशक्ति की पूजा की कई बातें मिलती हैं।


महिषासुरमरदनी 

मान्यता है दुर्गा जी और महिषासुर में 9 दिन का संग्राम इसलिए इसे नवरात्रि कहा जाता है। महिषासुर  वरदान प्राप्त करके अजर हो गया था।एवं एवं सभी को उसने अपने वश में कर, सभी दुनिया को पराजित करने के बाद उसने   स्वर्ग में आधिपत्य  जमा लिया।


 और देवता लोग पृथ्वी पर विचरण करने के लिए मजबूर हो गए, अंततः सभी देवता विवश होकर देवी दुर्गा जी की शरण में चले गए, और उन्हें अपनी अनेक शक्तियाँ प्रदान कर दीं


सारे देवताओं ने  देवी से प्रार्थना की हे माता, महिषासुर के अत्याचार से हमें मुक्त करें तब माता आदिशक्ति ने महिषासुर का अंत किया और महिषासुर मर्दिनी कहलायी।

मनुष्य के अन्दर अति-शानदार सामर्थ्य है जिसे वह जगा सकता है। यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए संभव है।


 देवी ग्रंथों में उल्लेख है, साधक अपनी आंतरिक शक्तियों को जाग्रत करने के लिए माता आदि शक्ति से प्रार्थना करता है और माता आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए जप,तप, एवं व्रत-उपवास रखता है।नवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।

नवरात्रि का अर्थ 

नवरात्रि का मतलब होता है नौ रातें नवरात्रि के दिनों में शक्ति की पूजा की जाती है शक्ति के नौ रूप की पूजा की जाती है।

 इसी दसवें दिन दशहरे के रूप में मनाया जाता है वैसे नवरात्र वर्ष में चार बार आता है। चैत्र और अश्विन पौष माह में प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्र पर्व मनाया जाता है।


नवरात्र की नौ रातों में तीन देवियां महालक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है 

जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं, दुर्गा का मतलब होता है कि जीवन में आने वाले दु:खों को दूर करना।


त्योहार के पहले दिन बालिकाओं  की पूजा की जाती है, दूसरे दिन कुँवारी कन्या की  पूजा की जाती है, तीसरे दिन जो महिला वयस्कता के चरण में पहुंचती है उसकी पूजा की जाती है

नवरात्रि के चौथे और छठे दिन लक्ष्मी समृद्धि और शांति की देवी की पूजा की जाती है, आठवें दिन पर यज्ञ किया जाता है, और नौवें दिन नवरात्रि समारोह के अंतिम दिन होते हैं जिन्हें महानवमी के रूप में जाना जाता है।


 इस दिन कुंवारी कन्याओं को पूजा इन 9 लड़कियों द्वारा दुर्गा के नौ रूप का प्रतीक मांगकर इन लड़कियों का सम्मान और स्वागत करने के लिए उनके पैर छुए जाते हैं, उसके बाद इन लड़कियों को भोजन कराया जाता है।

और अंत में लड़कियों को उपहार के रूप में नए कपड़े फल देकर के पूजा की जाती है 

सिद्धिदात्री 

 देवी दुर्गा जी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है और यह शेर पर सवार रहती हैं नवरात्रि के 9वें दिन उनकी पूजा की जाती है। और यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।


इसलिए साधक शेर पर सवार माता देवी दुर्गा के इस रूप की विशेष रूप से पूजा पाठ यज्ञ हवन करते हैं और लाभ प्राप्त करते हैं।



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