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Shiv puja शिव विवाह

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भगवान शिव का विवाह

     महाबली  तारकासुर का भगवान विष्णु को पराजित करना

भगवान शिव का विवाह कैसे हुआ इसके संबंध में लिंग पुराण में तारकासुर के संबंध में कथा आती है जो इस प्रकार है।
तारका पुत्र तारकासुर जो कि महाबली ,महा पराक्रमी, ब्रह्मा जी के वरदान से हो गया था ।


उसका और भगवान विष्णु का 1000 वर्षों तक युद्ध चला लेकिन इसमें उसने भगवान विष्णु को पराजित कर दिया एवं उनको रथ सहित  सौ योजन  पीछे कर दिया।


 भगवान विष्णु को पराजित करने के बाद तारकासुर ने अपने अत्याचार तीनों लोकों में करना चालू कर दिए ,जिससे कि सारे लोग घबरा गए उसने सारे देवताओं को पराजित कर दिया । उन देवताओं के कार्यों को  छीन लिया जिससे घबराकर  सारे देवता गुरु बृहस्पति की शरण में गए।

गुरु बृहस्पति की शरण में जाना

सारे देवता  मिलकर  गुरु वृहस्पति  की शरण में जाकर  यह कहने लगे, इस तारकासुर  ने हम लोगों का जीना दूर्भर  कर दिया है, इसलिए आप कोई ऐसा  उपाय बताए जिससे हम लोगों को इस दुख से छुटकारा मिले ,तब  गुरु बृहस्पति सारे देवताओं को लेकर भगवान ब्रह्मा के पास पहुंचे ।


तब ब्रह्मा जी बोले कि  मैं सब जानता हूं,  लेकिन आप लोग  किसी  तरह से भगवान शिव और देवी सती जो कि हिमवान (हिमालय) के  यहाँ  पार्वती के रूप में हैं,  उनका विवाह भगवान शिव से  करवा दीजिए ।


जिससे कि उनके द्वारा जो पुत्र उत्पन्न  होगा वह वह महा तेजस्वी एवं बलशाली होगा वह  कार्तिकेय  होंगे  जिनका 6 मुंह होगा एवं 12 भुजाएँ  होंगी, वही तारकासुर का वध करने में सक्षम होंगे ,वह अकेले ही तारकासुर का वध  करेंगे।

देवराज इंद्र के द्वारा कामदेव को निमंत्रण 

गुरु बृहस्पति को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने  तुरंत  कामदेव को  याद किया, एवं  कामदेव  तुरन्त अपनी पत्नी  रतिके साथ   हाजिर हुए तब देवराज इंद्र ने कहा हे कामदेव आपअपनी पत्नी रति को लेकर तुरन्त     भगवान शिव के   तपस्या स्थल पर जाइए एवं उनके अंदर काम का भाव पैदा कर दीजिए जिससे कि उनका   पार्वती से विवाह हो और कार्तिकेय जी का जन्म हो जिससे कि हम लोगों को तारकासुर के दुख से छुटकारा मिले।


शिव जी के द्वारा कामदेव को भस्म करना


 यह सब सुनकर कामदेव अपनी पत्नी रति एवं बसंत के साथ भगवान शिव के पास पहुंचे  जैसे ही वहां पहुंचे ,तो वैसे ही भगवान शिव की निगाहें कामदेव पर पड़ी ,भगवान शिव जी ने हंसकर अपना अपना तीसरा नेत्र खोल दिया जिससे   कामदेव भस्म हो गए।

अपने पति को मरा हुआ देखकर के देवी रति  विलाप करने लगी,उसकी यह दशा देखकर के भगवान शिव को दया आ गई यह बोले रति चिंता मत करो कामदेव बिना शरीर की भी अपना काम करेंगे, 


एवं  जब भगवान विष्णु वसुदेव के यहाँ  वासुदेव के रूप में जन्म लेंगे , तो उनके पुत्र के रूप में प्रद्युम्न का जन्म होगा   तब तुम उन्हें  पति के रूप में प्राप्त कर सकोगी ।

भगवान शिव जी के मुखारविंद से यह सुनकर रति अनंग के साथ स्वर्ग मे चली गयी ।

इधर  ॠषि, महर्षि, एवं  देवताओं के विशेष अनुरोध पर लोक कल्याण के लिए भगवान शिव जी ने पार्वती  से विवाह कर लिया ।



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