"
"नंदी का महत्व: भगवान शिव के परम भक्त और वाहन की अद्भुत कथा"
नंदी कौन हैं?
नंदी भगवान शिव के वाहन हैं और उनके परम भक्त भी। संस्कृत में 'नंदी' का अर्थ होता है 'आनंद' या 'हर्ष'। नंदी को धर्म, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है।
नंदी का आध्यात्मिक महत्व
शिव मंदिरों में नंदी की मूर्ति सदैव गर्भगृह के सामने स्थापित होती है। ऐसा माना जाता है कि नंदी के कानों में की गई प्रार्थना सीधे भगवान शिव तक पहुँचती है।
इसलिए श्रद्धालु नंदी के कानों में अपनी मनोकामना कहते हैं।
पौराणिक कथा – कैसे बने नंदी शिव के वाहन?
पुराणों के अनुसार, शिलाद ऋषि ने शिवभक्त संतान के लिए तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने नंदी को पुत्र रूप में प्रदान किया। नंदी ने कठोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और वे उनके वाहन व परम सेवक बन गए।
नंदी और रिषभ रूप
भगवान शिव स्वयं को कभी-कभी रिषभ (बैल) रूप में भी प्रकट करते हैं। नंदी, इस रूप के प्रतिरूप हैं और उन्हें शिवस्वरूप भी कहा जाता है।
शिव भक्ति में नंदी की भूमिका
नंदी केवल वाहन नहीं हैं, वे शिव के संदेशवाहक, द्वारपाल और भक्तों के मार्गदर्शक हैं। नंदी का ध्यान करने से व्यक्ति में धैर्य, सेवा और समर्पण की भावना उत्पन्न होती है।
मंदिरों में नंदी को क्यों प्रणाम करते हैं?
मान्यता है कि शिव दर्शन से पहले नंदी को प्रणाम करने से दर्शन सफल होते हैं। नंदी भक्त और भगवान के बीच सेतु हैं।
---
डिस्क्लेमर:-
यह लेख धर्मग्रंथों, पुराणों और परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करना है। कृपया इसे श्रद्धा और विवेक के साथ पढ़ें।
---
0 टिप्पणियाँ