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Shiv puja (शिव जी का नौकर बनकर सेवा करना)


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शिव पूजा

 शिव का अपने भक्त की शिव  पूजा में शामिल होकर, भक्त के यहां नौकर बनकर सेवा करना 

ब्राह्मण  की शिव पूजा:-

(भगवान भक्त के वश में होते हैं) बहुत पुराने समय की बात है।एक गरीब ब्राह्मण नास्तिको  के गाँव मे रहता था । जो  भगवान शिव का परम भक्त था। बहुत ही भोला भाला था । लेकिन उसकी पत्नी बड़ी दुष्ट स्वभाव की थी।

वह तो कुछ ना कुछ  उस ब्राह्मण को रोज बोला करती थी। लेकिन वह चुपचाप सुन लेता एवं अपनी पत्नी का कोई जवाब नहीं देता। 

उसका  मन तो  भगवान शिव के चरणों में लगा रहता , भगवान शिव की लीला को समझ कर वह चुपचाप सब सब कुछ सहन कर लेता ।

वह भगवान शिव को  ब्रह्ममुहुर्त   मे रोज गंगा जल  चढाया करता था ।

और यही प्रार्थना करता  कि प्रभु संसार को सुखी रखे, अपने लिये  कभी कुछ नहीं मांगता था ।

वह तो पूरे संसार के भलाई के लिए प्रार्थना करता था।   यही कहता था, कि  हे प्रभु  सारे प्राणियों में आपका निवास है। 

उसके  नित्य पूजा  पाठ से भगवान शिव हमेशा प्रसन्न रहते थे। उसकी पूजा-अर्चना से भगवान शिव , हमेशा सोचते थे इतनी गरीबी में भी मेरा भक्त  मुझको भूलता  नहीं  है ।

हमेंशा   मेरी पूजा करता है ।इसी तरह से उस ब्राह्मण का जीवन व्यतीत हो रहा था ।आखिर एक दिन भगवान शिव   से रहा नहीं गया ,उन्होंने कहा कि मुझे अपने भक्त की सेवा करनी चाहिए।



शिव जी का भेष धारण:-

और एक हट्टे कट्टे युवक का रूप बनाकर  भगवान शिव  भक्त के दरवाजे पर पहुंचे और बोले मै  एक बेरोजगार व्यक्ति हूँ,काम की तलाश में आया हूं, कृपया मुझे कोई काम दे दीजिए ।


तो वह ब्राह्मण बोला कि मैं खुद बहुत  गरीब हूं,तो मैं आपको कहाँ  से काम दूंगा,और पैसा कहाँ  से दूंगा भगवान शिव बोले कि मुझे पैसे की कोई जरूरत नहीं केवल दो वक्त की रोटी दे देना।


तो वह  ब्राह्मण बोला कि हम कभी-कभी  तो उपवास  करके भी सो जाते है,तब भगवान  बोले ठीक है, मैं कभी आपको शिकायत नहीं करूंगा, मैं सुबह से शाम तक आपकी सेवा करता रहूंगा ।


भक्त  ने सोचा ठीक है ,जैसे हम खा रहे हैं ऐसे ही इनका भी भोजन बन जाएगा ,और यह मेरी पत्नी के कार्य में  सहयोग करेगा, इससे  मेरी पत्नी खुश रहेगी।


यह सोचकर उसने कहा ठीक है, और अपनी पत्नी के पास गया और कहां सुनती हो भाग्यवान, हमें मुफ्त में एक नौकर मिल रहा है, वह केवल   दो समय  खाना खाएगा ,उसकी पत्नी ने कहा कि ठीक है,रख लीजिए ।


शिव जी का सेवक बनना:-

इसके बाद भगवान शिव नौकर के रूप मे उस ब्राह्मण दम्पति की सेवा करने लगे 

ब्राह्मण सुबह-सुबह पूजा पाठ करता ,एवं भगवान शिव को बोलता कि जाओ मेरा लोटा ले कर लाओ मेरी पूजा के लिए फूल चुन कर लाओ ,भगवान शिव सेवा करते रहते , उसके लिए गंगा जल लेकर आते   पूजा में बैठे रहते एवं पूजा पाठ में उसका सहयोग करते इस तरह से ब्राह्मण के दिन बीते जा रहे थे ।

बाबा धाम की यात्रा:-

एक दिन अचानक ब्राह्मण के मन में बाबा धाम जाने की इच्छा हुई,  उन्होंने  उस युवक से कहा मै बाबा धाम जाना चाहता हूं, तुम घर पर रहना ,और मेरी पत्नी की सेवा करना तो भगवान शिव वोले हे , ब्राह्मण देवता मैं भी चाहता हूं कि आपके साथ चलू और बाबा धाम के दर्शन कर लू।


ब्राह्मण भगवान शिव की विनती सुन कर के बोला ठीक है तुम मेरे साथ चल चलो दूसरे दिन भगवान शिव और वह ब्राह्मण साथ चले गए।


जंगल की ओर:-

चलते -चलते वह बियाबान जंगल में पहुंचे जंगल इतना घना था कि सूर्य की रोशनी भी  छन कर आती थी।


ब्राह्मण बोला कि रात हो चुकी है, क्यों न जंगल  में आराम कर  ले, तो शिवजी बोले  कि ठीक है ब्राह्मण देवता जैसा आप उचित समझें,इसके बाद भगवान शिव और ब्राह्मण जंगल में एक घने वृक्ष के नीचे  रात बिताने लगे।

तभी शिव जी ने कहा ब्राह्मण देवता आप सो जाइए क्योंकि सुबह आपको पूजा करना है ।

मैं रात भर में आप की रखवाली करता रहूंगा ब्राह्मण बोले ठीक है ,और सो गये ।

सुबह जब ब्राह्मण की आँखें खुली तो उन्होंने कहा ,जाओ और जाकर मेरे लिए पूजा पाठ के लिए सामग्री लेते आओ।


 हाँ जल्दी से आना, भगवान शिव पूजा पाठ के लिए बेलपत्र एवं अन्य पुष्प ले आए ,परंतु उस जगह पानी का नामोनिशान नहीं था ।

इस पर उन्होंने अपनी जटा से गंगा जल निकाला  और लेकर चले आए ।




गंगा जल:-

जब ब्राह्मण  पूजा करने बैठा तो उसने  जैसै  ही पुष्प बेलपत्र चढ़ाया और जल की बारी आई तो फिर जब जल चढ़ाया तो गंगाजल देखकर बहुत आश्चर्य चकित हो गया  कहने लगा कि इस बियाबान जंगल में जहां कि पानी  का नामोनिशान नहीं है, यह युवक गंगाजल कहां से ले आया?  

आखिर ब्राह्मण  को रहा नहीं गया, उन्होंने युवक रूपी बने शिव  से पूछा  कि  हे युवक   पूरे घने जंगल में जहां पानी का नामोनिशान नहीं है ।


भक्त  को भगवान शिव जी का दर्शन:-

आप गंगाजल मेरी पूजा करने के लिए  कहां से ले आए, तो भगवान शिव जी  बोले मैंने अपनी जटा में से लिया है। यह सुनते ही ब्राह्मण जो है गश खाकर गिर गया ।

और भगवान शिव के पैरों में गिर कर के लगा प्रलाप करने, विलाप करने ,हे प्रभु! मैं आपको पहचान नहीं पाया इतने दिन से आप मेरी सेवा कर रहे थे।


 एक बार भी मैं आपको पहचान नहीं  पाया,आप बिना किसी शिकायत के मेरी सेवा करते रहे ,मै इतना बड़ा पापी हूं ,अपने भगवान से मैंने अपनी सेवा करवायी  बार-बार कहने पर भगवान शिव बोले  इसमें आपका कोई दोष  नहीं है ।


मेरी इच्छा हुई थी, कि मैं आपकी सेवा करू तब ब्राह्मण बोला  हे प्रभु, मैं यही चाहता हूं कि आप सदैव मेरे पास  रहै ।

तब भगवान शिव बोले यह संभव तो नहीं है ,लेकिन एक शर्त है यदि  तुम्हारी पत्नी मुझे पहचान जाएगी,तो मैं  चला जाऊंगा।


 ब्राह्मण बोला  ठीक है, और वह भगवान शिव के साथ वापस अपने घर आ गया ।एक दिन ब्राह्मण कही गया हुआ था ।जैसे ही वह घर लौटा ,तो देखा कि उसकी पत्नी झाड़ू लेकर  भगवान शिव को डांट रही है ,और मारने के लिए दौड़ीआ रही है।


यह देखकर  ब्राह्मण  को बहुत गुस्सा आया वह क्रोध से आगबबूला हो गया , और बोला कि अरे चंडालिन ,पापिन यह

 क्या कर रही है  तू  जिसे  झाड़ू लेकर दौड़ा रही है, वह साक्षात भगवान  शिव हैं। 


भक्त का विलाप:-

इतना सुनते ही भगवान शिव  अंतर्धान हो गय तब वह ब्राह्मण पागलों की भांति भगवान शिव को खोजने लगा वह उसी जंगल में जाकर शिव शिव शिव पुकारने  लगा।

 उसकी पुकार को सुनकर भगवान शिव द्रवित  हो गए, और उस के सामने प्रकट होकर बोले, बोलो क्या वरदान  चाहते हो,

 वह बोला प्रभु मुझे छोड़ कर कहीं मत जाइए,

 

शिव लोक गमन:-

तब भगवान शिव उसको  पत्नी  सहित अपने साथ  शिव लोक में  लेकर चले गए। धन्य हैं वह भक्त इसलिए  ही कहा जाता है कि भगवान भक्त के वश मे होते है।

ऊँ नमःशिवाय, ऊँ नमःशिवाय, ऊँ नमःशिवाय ,ऊँ नमःशिवाय हर हर  महादेव , हर हर  महादेव ,हर हर हर महादेव ।



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