Shiv katha सोलहवां अध्याय ब्रह्म एवं विष्णु जी का भगवान शंकर को विवाह करने के लिए प्रार्थना करना

 शिव विवाह की चर्चा

ब्रह्मा एवं विष्णु का कैलाश गमन:-

एक बार की बात है , ब्रह्मा, विष्णु जी मिलकर  आपस में वार्तालाप करते हैं। ब्रह्म जी  कहते हैं ,कि मेरा विवाह हो चुका है, एवं विष्णु जी आपका भी विवाह हो चुका है।


ऐसे में केवल भगवाधन शंकर ही विवाह करने के लिए बाकी है ,तो क्यों न  चल करके महेश्वर भगवान से प्रार्थना करें ! कि वह भी विवाह करें, जिससे कि  आने वाले भविष्य में कुछ राक्षसों का वध भगवान शंकर के पुत्र के हाथों लिखा हुआ है, वह संभव हो सके, तो यह तभी संभव है जब भगवान शंकर विवाह करेंगे !

और ऐसा कह कर के यह दोनों देवता अन्य देवताओं के साथ    कैलाश पर्वत पर भगवान शंकर के समक्ष जाते हैं।



भगवान शंकर जी का दर्शन:-

कैलाश पर्वत पर पहुंचकर  ब्रह्मा, विष्णु सहित सभी देवताओं को भगवान भोलेनाथ के दर्शन होते हैं, भगवान भोलेनाथ   ध्यान लगाए बैठे हैं  कर्पूर  के समान  उनका गौर वर्ण  अत्यधिक प्रकाशमान हो रहा है ।


उनके शरीर से निरंतर निकलती  आभा चारों ओर के वातावरण  को उद्वेलित कर रही है ।और चारों ओर से मनभावन शीतल पवन  चल रही है। आकाश में पुष्पों की वर्षा हो रही  है ।

 यह सब देख कर के ब्रह्मा विष्णु और अन्य देवगण  अत्यंत प्रसन्न हो जाते हैं ।सभी  देवाधिदेव महादेव के समक्ष हाथ जोड़कर खड़े हो जाते हैं ,और उनकी समाधि टूटने का इंतजार करते हैं।

महादेव का समाधि से बाहर आना:-

थोड़ी ही देर बाद भगवान भोलेनाथ की समाधि टूटती है, वह अपने समक्ष खड़े ब्रह्मा ,विष्णु, एवं अन्य  देवताओं को देख करके मुस्कुराते हैं,  और ब्रह्म  जी से पूछते हैं हे, ब्रह्मा जी कहिये  किस कारण से आप लोगों का आगमन हुआ है।

ब्रह्मा जी का कथन :-

ब्रह्मा जी कहते हैं- हे ईश्वर ,हे देवेश्वर, हे परम दयालु ,हे महेश्वर आप तो जानते ही हैं कि  भगवान सदाशिव ने हम लोगों को रचना सृष्टि के पालन के लिए की है ।

एवं विष्णु जी को सृष्टि के पालन के रूप में एवं मुझे सृष्टि की उत्पत्ति  के रूप में ,और आपको सृष्टि का संहार करने का कार्यभार सौंपा है।

हम लोग उन्ही महाशिव   से उत्पन्न हुऐ हैं ,और बिना एक दूसरे के सहयोग किए हम लोगों का कार्य संपूर्ण नहीं हो सकता हैं । प्रभु आपने वचन दिया था आप संहार  का कार्य करेंगे!तो आप तो राग एवं द्वेष से परे है,।

अत्यंत दयालु  होने के कारण प्रभु आप तो किसी का संहार  भी नहीं करेंगे, आप मोह, माया,मान अपमान एवं सारे विकारों से मुक्त हैं ।कोई भी विकार आपके शरीर को छू ही नहीं  पाया है। हे प्रभु, ऐसे में हमें डर है कि कैसे सृष्टि का संचालन होगा।


असल में हमारे आने का मुख्य उद्देश आपका विवाह  है ,प्रभु हम चाहते हैं कि आप जल्द विवाह कर ले,जिससे कि आने वाले समय में आपसे  जो पुत्र उत्पन्न होंगे उन्हीं के द्वारा कुछ राक्षसों का वध लिखा हुआ है ।

और यह तभी संभव है जब प्रभु आप विवाह के बंधन में बँधेगे उसी की अनुमति के लिए हम सारे देवता आपसे कैलाश मे प्रार्थना करने के लिए आए हैं और आपने बचन भी दिया था।


भगवान शिव की सांत्वना:-

यह सुनकर के भगवान शिव बोले हे देवगण  परंतु मैं विवाह करना नहीं चाहता ,मैं विवाह के बंधन में नहीं बँधना  चाहता, मैं किसी भी बंधन  से  बँधना नहीं चाहता।

मैं मुक्त रहना चाहता हूं क्योंकि मैं योगी  हूँ,  और एक योगी अपनी आत्मा में ही आनंदित रहता है अपनी आत्मा में ही  रमता  रहता है।


और वह आनंद अवर्णनीय  है,  अद्भुत है, इसलिए मैं विवाह के बंधन में बंधना  नहीं चाहता हूं विवाह का बंधन मेरे  मार्ग में बाधक हो सकता है। लेकिन मैंने वचन दिया था इसलिए संसार के कल्याण हेतु मैं विवाह करने को तैयार हूं परंतु मेरी एक शर्त है।


विवाह हेतु भगवान शिव की शर्त:-

मैं विवाह उसी स्त्री से करूंगा जो कि मेरे तेज को सहन कर लेगी,  तथा साथ में योगिनी भी रहेगी,  जो कई प्रकार के रूप धारण करने में समर्थ रहेगी,एवं जब मैं तपस्या में लीन रहूंगा तो वह योगिनी   की भांति रहेगी ।

और जब मैं भगवान सदाशिव  की तपस्या से बाहर निकलूंगा ,और जब मैं श्रंगार रस मे रहूँगा तब वह सौंदर्यवती नारी के रूप मे मिलन की बेला मे सहयोग करेगी ।



जब मै भगवान सदाशिव के ध्यान मे मग्न  हो जाऊंगा तो किसी प्रकार की भी रोक टोक  बर्दाश्त नहीं करूंगा, और जब मैं समाधि में रहूंगा किसी भी प्रकार से वह मेरी समाधि  को  भंग   नहीं करेगी ,क्योंकि मेरी समाधि भंग करने वाली स्त्री जीवित नहीं रह सकती ,यह सब सोचकर के इस लायक यदि कोई देवी मुझसे विवाह के लिये  तैयार  हो तो मैं विवाह करने के लिए तैयार हूं।

ब्रह्मा और विष्णु  की मनोकामनाएँ पूर्ण होना:-

यह सब सुनकर के ब्रह्मा जी और विष्णु जी को अपार हर्ष  होता  हैं,  और वे कहते है ।हे प्रभु, जैसा आपने कहा वैसा ही एक देवी दक्ष कन्या सती हैं जो सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वगुण संपन्न है  हर तरह  से आपकी योग्य हैं।

और वह इस समय आप ही की प्राप्ति के लिए कठोर   तपस्या कर रही हैं।


और जैसा कि प्रभु आप प्रसन्न  हो तो, उन्हीं से पाणिग्रहण के लिए हम लोग चर्चा करें, और यह कह कर कि  ब्रह्मा विष्णु सभी देवताओं के सहित वापस अपने धाम की ओर लौट आए।

डिस्क्लेमर:-

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