"शिव विवाह की पौराणिक कथा: ब्रह्मा-विष्णु का कैलाश गमन और भगवान शिव की विवाह शर्त"



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भगवान शिव ध्यान में लीन हैं, चारों ओर देवगण खड़े हैं – ब्रह्मा, विष्णु सहित। कैलाश पर्वत की पृष्ठभूमि, पुष्पवर्षा हो रही है, शीतल वातावरण है।


🔱 शिव विवाह की दिव्य कथा 🔱

ब्रह्मा और विष्णु का कैलाश गमन

एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी आपस में चर्चा कर रहे थे। ब्रह्मा जी ने कहा — "मेरा विवाह हो चुका है, और विष्णु जी, आपका भी विवाह हो चुका है। अब केवल भगवान शंकर ही अविवाहित हैं। हमें महेश्वर से निवेदन करना चाहिए कि वे विवाह करें। क्योंकि कुछ राक्षसों का अंत उनके पुत्र द्वारा होना लिखा है, और पुत्र तभी संभव है जब भगवान शिव विवाह करें।"

यह कहकर दोनों देवता अन्य देवताओं सहित कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान करते हैं।

भगवान शिव के दर्शन

कैलाश पर पहुँचकर सभी देवताओं को भगवान शिव ध्यानस्थ अवस्था में दिखाई देते हैं। उनके शरीर से कर्पूर जैसी आभा निकल रही थी और चारों ओर शीतल पवन बह रही थी। पुष्पों की वर्षा हो रही थी और वातावरण अत्यंत आनंदमय था। सभी देवता हाथ जोड़कर खड़े हो गए और समाधि टूटने की प्रतीक्षा करने लगे।

समाधि से बाहर आते महादेव

कुछ समय पश्चात भगवान शिव की समाधि टूटी। वे मुस्कुराकर बोले — "हे ब्रह्मा, कहिए किस कारण से आप सभी पधारे हैं?"

ब्रह्मा जी का निवेदन

ब्रह्मा जी बोले — "हे प्रभु! आपने हमें सृष्टि, पालन और संहार का कार्य सौंपा है। आप राग-द्वेष से रहित हैं। परंतु यदि आप विवाह नहीं करेंगे, तो सृष्टि का संचालन बाधित होगा। राक्षसों के वध के लिए आपके पुत्र का जन्म आवश्यक है। कृपया विवाह करें।"

भगवान शिव की प्रतिक्रिया

शिव बोले — "मैं एक योगी हूं। मेरी आत्मा ही मेरा आनंद है। परंतु लोककल्याण हेतु, वचन पालन करते हुए, मैं विवाह को तैयार हूं — लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं।"

भगवान शिव की शर्त

  • विवाह उसी स्त्री से जो मेरे तेज को सहन कर सके
  • जो योगिनी हो और रूप बदलने में समर्थ हो
  • जो मेरी समाधि में विघ्न न डाले
  • जो मेरी साधना को समझे और उस समय मौन रहे

यदि ऐसी देवी है तो मैं विवाह के लिए सहमत हूं।

ब्रह्मा-विष्णु की प्रसन्नता

ब्रह्मा-विष्णु ने कहा — "हे प्रभु, दक्ष की कन्या सती इस योग्य हैं। वह तपस्या कर रही हैं, केवल आपको पाने के लिए। हम शीघ्र ही उनसे इस विषय में चर्चा करेंगे।"


📜 डिस्क्लेमर:

इस लेख में दी गई जानकारी विभिन्न पुराणों, प्रवचनों एवं धर्मग्रंथों पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक जानकारी का प्रसार है। पाठक अपनी श्रद्धा और विवेक के अनुसार इसका उपयोग करें। लेख की प्रमाणिकता की कोई जिम्मेदारी लेखक की नहीं होगी।

🔚 हर हर महादेव 🔚

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