हिमालय पर देवताओं का दिव्य आगमन"

हिमालय पर सभी प्रमुख देवताओं का आगमन

हिमालय द्वारा आतिथ्य सत्कार

जब हिमालय महाराज देवी मैना से विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रविष्ट हुए, तो वे प्रेमपूर्वक अपने दांपत्य जीवन का निर्वाह करने लगे।

एक दिन अचानक ब्रह्मा, विष्णु सहित समस्त प्रमुख देवता हिमालय के द्वार पर पधारे। यह दृश्य देखकर हिमालय अत्यंत आनंदित हो उठे। भाव-विभोर होकर उन्होंने कहा—

"अहो! मेरे भाग्य जाग उठे। आज स्वयं देवगण, ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु मेरे द्वार पर पधारे हैं। यह मेरे जीवन का सौभाग्य है। मेरा कुल, मेरा स्थान और मेरा जन्म आज सफल हो गया।"

हिमालय जी ने सभी देवताओं का प्रेमपूर्वक स्वागत करते हुए उन्हें यथोचित आसन ग्रहण करने हेतु निवेदन किया। उनके विनम्र वचनों से समस्त देवगण प्रसन्न हो गए।

सती का आदिशक्ति रूप

देवताओं ने हिमालय से कहा:

"हे पुण्यात्मा हिमालय! सती ही आदिशक्ति हैं। वे और भगवान शिव भिन्न नहीं, एक ही पराशक्ति के दो रूप हैं। कृपया आप देवी की आराधना करें और उन्हें पुत्री रूप में अपने घर अवतरित होने का निवेदन करें, जिससे संसार का कल्याण हो सके।"

हिमालय का कथन

देवताओं ने समझाया कि आदिशक्ति ही इस ब्रह्मांड की जन्मदात्री, पालनकर्ता और संहारिका हैं। वे करुणामयी हैं और समस्त चराचर जगत उनकी कृपा पर निर्भर है। यदि वे आपकी पुत्री के रूप में अवतरित होंगी, तो भगवान शिव के लिए तप करेंगी, और अंततः शिव-पार्वती विवाह से सृष्टि को नवचेतना प्राप्त होगी।

इसके पश्चात देवताओं ने हिमालय को देवी आराधना की विधियाँ, मंत्र एवं साधना की प्रक्रिया समझाई और अपने-अपने धाम लौट गए।

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