मां आदिशक्ति का दिव्य प्राकट्य: देवताओं को मिला साक्षात दर्शन

मां आदिशक्ति का देवताओं को दर्शन

देवताओं के द्वारा मां आदिशक्ति की स्तुति

हिमालय से लौटने के बाद सभी देवताओं ने मिलकर माता आदिशक्ति की स्तुति की।

उन्होंने कहा — हे माता, आप चर और अचर की स्वामिनी हैं, आपने ही इस संपूर्ण विश्व को धारण कर रखा है। आप सभी के हृदय में निवास करती हैं और प्राणियों की देखभाल करती हैं।

आप वेदों में सामवेद की ऋचाएं हैं, अथर्ववेद में सम्मोहन शक्ति भी आप ही हैं। आप अनंत ज्ञान की जननी हैं।

हे जगत जननी, आपने सती रूप में जन्म लेकर विश्व का कल्याण किया, कृपया हमें दर्शन देकर पुनः कल्याण करें।

मां आदिशक्ति का देवताओं को दर्शन देना

देवताओं की पुकार सुनकर मां आदिशक्ति का हृदय द्रवित हो गया। वे एक दिव्य रथ में प्रकट हुईं।

रथ में नीलम जड़े हुए थे, और मुलायम गद्दों से सुसज्जित था।

दिव्य शक्ति की आभा

मां के अंगों से करोड़ों सूर्य के समान प्रकाश निकल रहा था।

देवताओं की आंखें चौंधिया गईं और वे मां के रूप को न देख सके। तब विष्णु और ब्रह्मा जी ने प्रार्थना की: "हे माता, दिव्य दृष्टि दीजिए।"

मां ने दिव्य दृष्टि दी, जिससे देवताओं ने महामाया का अनुपम रूप देखा। वे भावविभोर होकर स्तुति करने लगे।

मां आदिशक्ति का कथन

माता बोलीं — जब मैंने दक्ष यज्ञ में अपना शरीर त्यागा, तब भगवान शिव को अपार दुःख हुआ और वे दिगंबर हो गए।

अब उनकी यह दशा मुझसे देखी नहीं जाती। इसलिए मैं पार्वती रूप में अवतार लेकर हर का शोक हरूंगी।

आप सब निश्चिंत रहें, आपका कल्याण निश्चित है।


डिस्क्लेमर:

इस लेख में दी गई जानकारी / सामग्री / गणना की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं की जा सकती। यह सामग्री विभिन्न धार्मिक ग्रंथों, पंचांगों, प्रवचनों आदि से संग्रहित है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना प्रेषित करना है।

यह लेख मां आदिशक्ति की भक्ति, दर्शन, और पुराणों में वर्णित दिव्य प्रसंगों पर आधारित है।

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