Shiv Katha मंगल ग्रह की उत्पत्ति
पर्वतराज हिमालय के द्वारा माता पार्वती को भगवान शिव की तपस्या के लिए प्रेरित करना
धीरे-धीरे पार्वती जी बड़ी होने लगी ,वह अपनी बाल सुलभ लीला के द्वारा पर्वतराज हिमालय और मैंना का मन मोहने लगी।
देवी मैना का संशय :-
एक दिन कि बात है मैना, अपने कक्ष में उदास बैठी थी, तभी पर्वतराज हिमालय वहां पहुंचे ,तब मैना ने उनके पांव पकड़ लिये उनकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी ।
वह बोली हे स्वामी, पार्वती के लिए कोई सुयोग्य सुंदर सा वर खोज दीजिए, जब से देवर्षि नारद जी बोल कर गए हैं तभी से मेरा मन संशय में पड़ा हुआ है।
देवर्षि नारद का वचन:-
यह सुनकर पर्वतराज बोले देवी, आप चिंता ना करें देवर्षि नारद का वचन मिथ्या नहीं हो सकता ! आपको ऐसी अशोभनीय बातें नहीं करनी चाहिए,
आप जानती नहीं है, भगवान शिव साक्षात परब्रह्म परमेश्वर, निर्गुण निराकार, निर्विकार, संपूर्ण ब्रह्मांडों के निर्माता एवं परमात्मा है।
इसलिए पार्वती को ऐसी शिक्षा दे, वह शिव की परमपिता, परमेश्वर की उपासना करें ,यह सब समझा- बूझाकर कर उन्होंने मैंना को वापस उनके कक्ष में भेज दिया।
पार्वती जी का आगमन:-
तभी पार्वती जी आई, और उन्होंने कहा माता मैंने एक स्वप्न देखा कि मैं तपस्या कर रही हूं, और एक बहुत ही तेजस्वी महात्मा मेरे पास आए, उन्होंने मुझे आशीर्वाद दिया, कि आप भगवान शिव की तपस्या करें, वही आपको वर के रूप में प्राप्त होंगे।
अभी पार्वती यह बातें कर ही रही थीं ,कि तभी मैंना ने पर्वत राज हिमालय को बुलाने के लिए दासी को को भेजा।
पर्वतराज हिमालय का आगमन:-
मैना के आमंत्रण पर पर्वत राज हिमालय तुरंत मैना के कक्ष में आए उन्होंने मैना से पूछा क्या बात है? हिमालय की बात सुनकर मैना ने कहा स्वामी कल रात हमारी पुत्री ने एक बहुत ही उत्तम स्वप्न देखा, और उन्होंने स्वप्न के बारे में पर्वत राज हिमालय को सब बता दिया ।
पर्वत राज हिमालय ने मैंना से कहा, देवी कल रात में मैंने भी एक स्वप्न देखा, जिसमें कि भगवान शिव के समान ही एक महात्मा जी हैं।
उनका स्वरूप भगवान शिव के समांन था , मैंने उनसे जाकर प्रार्थना की, और कहां कि मैं अपनी बेटी पार्वती को आपकी सेवा में देना चाहता हूं।
तो पहले तो उन्होंने मना कर दिया, परंतु बाद में ना जाने क्या सोचकर हां कर दी। और मैं अपनी बेटी पार्वती को उनकी सेवा में छोड़कर चला आया।
स्वप्न के फल की प्रतीक्षा:-
भगवान शिव का कैलाश पर्वत पर आना और तपस्या में मग्न हो जाना:-
मंगल ग्रह का जन्म:-
डिस्क्लेमर:-
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