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Shiv Katha कामदेव का भस्म होना

 भगवान शिव जी की तपस्या में व्यवधान 

ब्रह्मा जी  नारद जी से बोले, हे देवर्षि, जब कामदेव  ने देवराज इंद्र को आश्वासन दे दिया  ,तो वह अपने सैन्य बल, रति तथा बसंत को लेकर उस स्थान पर गया ,जहां पर  देवाधिदेव महादेव, परम पावन कल्याणकारी , महा योगेश्वर,  परम दयालु अपनी साधना में लीन में होकर समाधि लगाएं बैठे  हुए थे।
वहां पहुंचकर कामदेव ने अपने बाणों का संधान किया, और पहला अमोघ बाण भगवान शिव जी के ऊपर छोड़ दिया‌‌।

कामदेव जी ने  जो बाण चलाया था, वह  अमोघ था ,इसलिए प्रभु महादेव जी की समाधि भंग हो गई ,उन्होंने कहा कौन मूर्ख है ?जो मेरे अंदर विकार पैदा करने की कोशिश कर रहा है।


तब तक उनकी निगाह  सामने खड़े कामदेव पर पड़ी, जो कि अहंकार वश बाणों का संधान किए हुए, प्रभु की ओर तीर छोड़ने वाला था।


यह   कुचेष्टा देखकर  देवाधिदेव महादेव जी का सब्र टूट गया, और वह क्रोध में भर गए ,जिसकी वजह से  उनके तीसरे नेत्र से  अग्नि की ज्वाला प्रज्वलित हुई जो सीधे आकाश की ओर बढ़ी ।

भगवान शिव को क्रोधित  देखकर कामदेव बहुत डर गया, और देवराज इंद्र आदि देवताओं से अपनी जान बचाने के लिए प्रार्थना करने लगा। 

जब तक देवता वहां पहुंच पाते और भगवान शिव से  विनती करते, तब तक  आकाश से उतरी अग्नि कामदेव  के शरीर पर पड़ी, और कामदेव जल कर भस्म हो गया।


 रति का हाहाकार:-

कामदेव के भस्म होने पर रति  पर दुःखों का पहाड़ गिर पड़ा,और वह बेहोश होकर गिर पड़ी, थोड़ी देर में जब उनको होश आया, तो काफी रूदन  करने लगी ,और कहने लगी देवताओं ने मेरे स्वामी को भ्रमित करके मरवा दिया ।

यह सुनकर देवताओं को बहुत दुःख हुआ। उन्होंने कहां हे देवी, आप। चिंता मत करो। 

रति को आश्वासन:-

सारे देवता इकट्ठे मिलकर बोले हे देवी आप चिंता मत करें ?  हम  महादेव से प्रार्थना करेंगें ,भगवान भोलेनाथ परम दयालु हैं।

 बाबा से आपके पति को जिंदा करवा देंगे इतना कहकर देवता देवी रति को आश्वासन देकर  भगवान भोलेनाथ। के पास गए। 

भगवान भोलेनाथ की स्तुति:-

सारे देवताओं ने हाथ जोड़कर कर ,भगवान भोलेनाथ की स्तुति की ।विष्णु जी, ब्रह्मा जी, इन महान देवताओं  ने नाना प्रकार के वेद मंत्रो के द्वारा भोलेनाथ की आराधना की, उन्हें प्रसन्न किया। भगवान शिव को प्रसन्न हुआ देखकर, देवता बोले हे प्रभु ,इसमें कामदेव की कोई गलती नहीं है ।


आप तो जानते ही है कि, तारकासुर  ने कितना अत्याचार फैला दिया है। इसी वजह से हम देवताओं ने अपना कष्ट निवारण के लिए तथा जन कल्याण के लिए कामदेव को विवश किया, जो कि आपकी समाधि को भऺग करें, जिससे कि आपका विवाह हो एवं आप द्वारा उत्पन्न पुत्र से तारकासुर का वध हो सके। 

भगवान शिव का प्रसन्न होकर वरदान देना:-

देवताओं के द्वारा विनती करने पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए ,और बोले चिंता मत करो यह कामदेव फिर से जीवित हो जाएगा, जब भगवान श्री कृष्ण पृथ्वी पर अवतार धारण करेंगे। उस समय रुक्मणी के गर्भ से इसकी उत्पत्ति होगी।


 एवं उस नवजात शिशु को  संम्भाकासुर नाम का असुर उसका अपहरण करके समुद्र में ले जाकर डुबा देगा। लेकिन वह बालक बच जाएगा, और उसी के हाथों  असुर का वध होगा।


तब  तक रति आप जाकर  सम्बक नामक नगर में अपने पति की प्रतीक्षा करो, और मैं आपके पति को जीवित कर देता हूं। यह जब तक भगवान कृष्ण अवतार नहीं लेंगे तब तक के बिना शरीर के ही अपना कार्य करेंगे। 


और जब भगवान कृष्ण अवतार लेंगे तो उनके पुत्र के रूप में इनका जन्म होगा, और इन्हीं से तुम्हारा विवाह होगा, यह  मेरी वाणी सत्य है और तुम व्यर्थ का विलाप छोड़ो और जाकर के  नगर में अपने पति की प्रतीक्षा करो।

सारे देवताओं का अपने -अपने लोक में गमन:-


यह कहकर के भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गए और सारे देवता  अत्यंत प्रसन्न होकर अपने-अपने लोक को चले गए।

डिस्क्लेमर:-

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