"मय दानव: राक्षसों का महान वास्तुकार और शिवभक्त की रहस्यमय कथा"


"मय दानव: राक्षसों का महान वास्तुकार और शिवभक्त की रहस्यमय कथा"


व्यास मुनि ने सनत्कुमार ऋषि से प्रश्न किया:

“हे ब्रह्मर्षि! आप ब्रह्मा जी के पुत्र और शिवभक्तों में सर्वश्रेष्ठ हैं। कृपया  मय दानव पौराणिक कथा के अनुसार। जब त्रिपुर का संहार हो गया, तब उस महान दानव मय का क्या हुआ?”

"मय दानव और भगवान शिव की पौराणिक कथा का दृश्य"


सनत्कुमार जी बोले:

“हे मुनिवर! जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुरों का संहार किया, तब उनकी क्रोधाग्नि प्रज्वलित हो उठी। यह दृश्य इतना भयानक था कि संपूर्ण सृष्टि भयभीत हो उठी। देवता कंपित हो गए, और सबकी दृष्टि माता पार्वती की ओर चली गई, मानो उनसे शांति की याचना कर रहे हों।


शिव के  करुणा की कथा :-


यह दृश्य देखकर स्वयं भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी भी आश्चर्य और भय से भर उठे। उन्होंने तत्काल भगवान शिव की वेदमंत्रों और स्तोत्रों द्वारा स्तुति आरंभ की। शिव की स्तुति करते हुए वे उनके चरणों में झुक गए।


भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा:

“हे देवगणो! मैं तुम सब पर प्रसन्न हूँ। बताओ, तुम्हारी क्या इच्छा है?”


देवताओं ने करबद्ध होकर निवेदन किया:

“हे प्रभु! हमारी यही प्रार्थना है कि जब-जब हम संकट में हों, आप हमारी रक्षा करें।”


भोलेनाथ मुस्कुराए और बोले:

“तथास्तु! ऐसा ही होगा।”



मायासुर और शिव:-


तभी एक अत्यंत करुण दृश्य घटित हुआ:

मायावी मय दानव, जो कि त्रिपुर का शिल्पकार था, देवताओं की सेना से अलग होकर धीरे-धीरे शिव के पास आया। वह शिव के चरणों में गिर पड़ा और बोला:


“हे प्रभु! मैं आपकी शरण में हूँ। मेरा भी उद्धार कीजिए। मुझे आपके चरणों में शाश्वत भक्ति प्राप्त हो।”




शिवजी, जो भक्तों के लिए करुणा के सागर हैं, बोले:


मय दानव का  उद्धार

 “हे मय! मैं तुम पर प्रसन्न हूँ। तुम्हारी भक्ति स्थायी रहेगी।

तुम अपने परिवार सहित अवतल लोक चले जाओ। वह स्थान स्वर्ग से भी सुंदर होगा। वहाँ तुम शांतिपूर्वक निवास करोगे।

तुम्हारे भीतर का समस्त आसुरी स्वभाव नष्ट हो जाएगा।”


इस प्रकार शिव ने न केवल देवताओं को संतुष्ट किया, अपितु अपने शत्रु के भी हृदय का परिवर्तन कर उसे मोक्ष मार्ग पर अग्रसर कर दिया।


शिव का यही स्वरूप उन्हें देवों का देव – महादेव बनाता है।

निष्कर्ष:-


मय दानव के उद्धार की यह कथा हमें यह सिखाती है कि ईश्वर का न्याय केवल शक्ति से नहीं, करुणा से भी चलता है। भगवान शिव की यह असीम करुणा उनके 'महादेव' स्वरूप की पूर्णता को दर्शाती है। 


यदि आपको यह पौराणिक कथा रुचिकर लगी हो, तो हमारे ब्लॉग 'शिव आराधना (शिव ज्ञान का स्रोत) शिव की अन्य दुर्लभ कथाओं जैसे त्रिपुरासुर वध, अर्धनारीश्वर की उत्पत्ति, और नंदी का महत्व को भी अवश्य पढ़ें। हर कथा एक आत्मिक यात्रा है — शिव की ओर। हर हर महादेव!"



डिस्क्लेमर:-

यह लेख धर्मग्रंथों, पुराणों और परंपराओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य आध्यात्मिक जानकारी प्रदान करना है। कृपया इसे श्रद्धा और विवेक के साथ पढ़ें।








टिप्पणियाँ

लोकप्रिय पोस्ट