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शिव पुराण का महत्व

 


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"शिव पुराण का महत्व: कलियुग में मोक्ष पाने का श्रेष्ठ मार्ग"




शिव पुराण का महत्व: कलियुग में मोक्ष पाने का श्रेष्ठ मार्ग

नैमिषारण्य में शौनक ऋषि ने सूत जी से पूछा – “हे मुनिवर! कलियुग में मनुष्य पापों में डूबा रहता है। क्या ऐसा कोई उपाय है, जिससे वह उद्धार पा सके?”
सूत जी ने उत्तर दिया – “कलियुग में अगर कोई साधन है जो सभी पापों से छुटकारा दिला सकता है, तो वह है शिव पुराण। इसे स्वयं भगवान शिव ने उपदेशित किया है।”


शिव पुराण: भगवान शिव की वाणी का स्वरूप

शिव पुराण को भगवान शिव का वांग्मय स्वरूप माना गया है। इसे श्रद्धा से रेशमी वस्त्र में लपेटकर पूजन करना चाहिए। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और उसे भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है।


शिव पुराण का संरचना और लाभ

महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित शिव पुराण में 24000 श्लोक और 7 संहिताएं हैं। इसका श्रवण और पाठ आत्मा को शुद्ध करता है और जीवन के तीनों तापों से मुक्ति दिलाता है।


भक्ति में वृद्धि की प्रेरक कथा

एक बार एक ब्राह्मण देवराज, जो पापों में लिप्त था, शिव मंदिर में जाकर शिव पुराण की कथा सुनने लगा। वहीं उसकी मृत्यु हो गई। यमदूत उसे ले जाने आए, लेकिन भगवान शिव के पार्षदों ने आकर उसे यमलोक से मुक्त किया और शिवधाम ले गए।

शिव पुराण के पाठ का अंतिम लाभ


मृत्यु के समय भी यदि कोई शिव पुराण का श्रवण करे, तो वह भगवान शिव की कृपा से मोक्ष को प्राप्त करता है। यह ग्रंथ केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन को दिव्यता की ओर ले जाने का मार्ग है।


डिस्क्लेमर:

यह लेख विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और जनश्रुतियों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे श्रद्धा और विवेक के साथ पढ़ें। लेखक किसी भी आध्यात्मिक या धार्मिक निष्कर्ष की पुष्टि नहीं करता।



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