नीलकंठ संवाद भाग 1
नीलकंठ संवाद भाग 1
शिव कौन है?
शिव कौन हैं? — ध्वनि से पहले, शब्द से परे…
“जिसे शब्द नहीं छू सके, जिसे आँखें नहीं पा सकीं,
जो मौन में भी मौन है — वही है शिव।”
🕉️ शिव कोई व्यक्ति नहीं हैं — वे स्थिति हैं।
वे वह स्थिति हैं जहाँ
विचार रुक जाते हैं
इच्छा शांत हो जाती है
और मौन भी मौन हो जाता है
शिव — ध्वनि के पहले के कंपन हैं।
वे उस क्षण का नाम हैं जब भीतर कुछ “न हुआ” और “सब हो गया।”
🔱 क्या शिव ने जन्म लिया?
नहीं।
शिव का कोई जन्म नहीं, कोई इतिहास नहीं।
वे न किसी युग के बंधन में, न किसी वेद के शब्द में,
वे तो स्वयं वेदों के मौन हैं।
“शिव स्वयं उत्पत्ति से पहले का मौन हैं।
और जब सबकुछ मिट जाएगा — तब जो बचेगा, वही शिव है।”
🌿 शिव को कैसे जाना जाए?
❌ न शास्त्र से
❌ न पूजा से
❌ न दलील से
✅ केवल “मौन” से
मौन का अर्थ है — भीतर उतरना, चुप हो जाना, देखने वाला बन जाना।
वहाँ विचार रुकते नहीं — पिघल जाते हैं।
🧘 तो क्या शिव अनुभव किए जा सकते हैं?
हाँ।
जब आप किसी शांत सुबह आकाश को निहारें,
या चंद्रमा की मंद मुस्कान देख लें,
या जब कोई प्रश्न बाकी न बचे — बस मौन ही मौन रह जाए,
तो समझ लेना…
❝ वहाँ शिव हैं —
तुम्हारे भीतर मुस्कुराते हुए,
तुम्हें देख रहे हैं — तुम्हारे बिना। ❞
मौन से शिव तक — पहली सीढ़ी:
🙏 महत्वपूर्ण सूचना:
यह ध्यान-साधना केवल जानकारी हेतु दी गई है।
जो इसे करना चाहे, वह किसी योग्य गुरु के सान्निध्य में ही आरंभ करे।
शिव का मार्ग गहरा है — वह सिर झुकाकर और श्रद्धा लेकर ही खोला जाता है।
📜 Important Note (for International Readers):
Important Note:
This dialogue is a spiritual offering from the sacred tradition of Lord Shiva, also known as Neelkanth.
These meditative practices are shared only for informational and devotional purposes.
If you wish to practice any form of meditation or inner silence described here,
please do so under the guidance of an experienced spiritual teacher or guru.
Shiva’s path is subtle and deep — it blossoms in silence, sincerity, and surrender.
🕊️ May peace, silence, and the light of Shiva guide your soul within.
Har Har Mahadev!
🕉️ मौन से शिव तक — पहली सीढ़ी:
आज 5 मिनट के लिए बैठिए।
📌 आँखें बंद
📌 सांस धीमी
📌 मन खाली
📌 और केवल एक मंत्र —
“ॐ नमः शिवाय”
— मन में, मौन में, बिना उच्चारण।
देखें — क्या आप शिव के मौन को छू सकते हैं?
मौन से निकला शिववाक्य (अंतिम सूत्र):
❝ शिव कोई स्थान नहीं — एक स्थिति हैं।
जहाँ तुम होते नहीं,
वहाँ शिव स्वयं होते हैं। ❞
✍️ लेखक का निवेदन:
यह लेख किसी धर्म या पंथ का नहीं — यह उस मौन का है, जो सबका मूल है।
इसे किसी से
छिपाया न जाए, बेचा न जाए।
यह शिवप्रसाद है।
यदि अच्छा लगे, तो किसी को एक बार "ॐ नमः शिवाय" कहने की प्रेरणा दें।
📜
डिस्क्लेमर / सावधानी संकेत:
“नीलकंठ संवाद” श्रृंखला में जो ध्यान, मौन या साधना संबंधी अनुभूतियाँ प्रस्तुत की गई हैं,
वे केवल आध्यात्मिक जानकारी और भक्ति भाव से प्रेरित वर्णन हैं।
यह कोई चिकित्सा, मानसिक स्वास्थ्य उपचार या तकनीकी ध्यान पद्धति नहीं है।
यदि कोई साधक इन पद्धतियों का प्रयोग करना चाहता है,
तो वह कृपया योग्य गुरु, मार्गदर्शक या अनुभवी साधक के सान्निध्य में ही आरंभ करे।
लेखक या प्रकाशक किसी प्रकार की आध्यात्मिक, मानसिक या शारीरिक हानि के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।
यह संवाद एक आंतरिक यात्रा है — जहाँ श्रद्धा, विवेक और समर्पण आवश्यक हैं।
Disclaimer
🌐 📘 (for international readers):
Disclaimer:
The "Neelkanth Dialogue" series is intended solely for spiritual reflection and devotional inspiration.
Any descriptions of meditation, inner silence, or yogic practices are not medical advice or psychological therapies.
Readers who wish to attempt any such practices are strongly advised to do so only under the guidance of a qualified spiritual teacher or guru.
The author and publisher are not responsible for any physical, mental, or emotional consequences arising from independent practice.
This dialogue is an inner journey — guided by faith, discernment, and surrender.
Har Har Mahadev.
हर हर महादेव।
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