गोस्वामी तुलसीदास जी जिस समय रामचरितमानस को लिख रहे थे। उस समय कई लोग तुलसीदास जी को नीचा दिखाने के लिए रोज कोई न कोई उपाय रचते थे।
परंतु भगवान श्री राम में अत्यंत भक्ति होने के कारण तुलसीदास जी किसी भी तरह की चिंता के शिकार नहीं होते हैं जिसके स्वंय श्री राम ही आराध्य हो , उस व्यक्ति की कोई भी क्या बिगाड़ सकता है।
प्रभु राम मे अत्यंत भक्ति होने के कारण हनुमानजी सदैव तुलसीदास जी की रक्षा करते थे। एवं भगवान शिव का भी वरद हस्त तुलसीदास जी के ऊपर था।
तब भगवान शिव जी की कृपा से ही रामचरितमानस जगत मे प्रसिद्ध हुआ।
और इसके द्वारा जगत का कल्याण भी हुआ है। कालिदास, मैथिल कवि विद्यापति, आदि महान कवियों ने भी अपनी रचना के पहले भगवान शिव की आराधना की है ,स्तुति की है।
(भगवान शिव देवाधिदेव महादेव) शिव जी का नाम कई दु:खों से ,पापो से मुक्ति दिलाने वाला है, आज भी जो मनुष्य इस अविनाशी नाम का उच्चारण करता है वह निश्चय ही मनुष्य रूप में साक्षात रूद्र हैं।
भगवान शिव सदा सबके लिए कल्याणकारी हैं वे थोड़े से जल, अक्षत, फल, पुष्प, से प्रसन्न हो जाते हैं।इसलिए हर व्यक्ति को शिव की पूजा करनी चाहिए।
भगवान शिव मनुष्य को असीम विभूतियाँ प्रदान करने वाले, महान देव एवं यथार्थ स्वरूप हैं अनादि हैं, अनंत है, अजन्मा है शिव की गण से सारे दु:ख दूर हो जाते हैं।
कोई भी व्यक्ति बड़ा पापी हो, तो भी यदि अंत समय मे शिव नाम का उच्चारण करता है। तो उसे यमराज का द्वार नहीं देखना पडता है। शिव के सारे नाम मोक्ष प्रदान करते हैं। परन्तु उन सभी में 'शिव' नाम ही सर्वश्रेष्ठ है।
ऊँ नमः शिवाय हर-हर महादेव
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