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How can you do shivling puja at home in hindi ,

 शिवलिंग की पूजा करते समय घर में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए

सर्वप्रथम    भगवान शिव के व्यापक एवं समस्त ब्रह्मांड का घोतक (जो प्रकृति एवं पुरुष की मिलन का होता है) ऐसे कल्याणकारी शिवलिंग को हमें साक्षात नमन करना चाहिए, दंडवत करना चाहिए, प्रणाम करना चाहिए।






शिवलिंग की अपनी अद्भुत महिमा है, ऐसा शिव पुराण में आता है कथा में एक बार ब्रह्मा जी ने अपने आप को एवं भगवान विष्णु ने अपने आप को श्रेष्ठ बताने के लिये   आपस मे ही विवाद किया, उसी समय एक ज्योतिर्लिंग खम्भे के रूप  में प्रकट हुआ। । उस महान तेजोमय   शिवलिंग को देख कर के ब्रह्म जी और विष्णु जी में यह समझौता हुआ जो इस शिवलिंग के आदि और अंत का पता लगाएगा वहीं सर्वश्रेष्‍ठ होगा।


ब्रह्मा जी, विष्णु जी, अपनी संपूर्ण कोशिश के बाद भी पता नहीं लगा। तब भी भगवान शिव साक्षात उनके भिन्न रूप में प्रकट होते हैं, वे शिवलिंग के महत्व को ब्रह्म एवं विष्णु जी को बताते हैं तभी से शिवलिंग की पूजा चली आ रही है।


 ● घर में जो शिवलिंग रखा जाता है, उसे रोज जल देना अति आवश्यक है। इसी तरह शिवलिंग का आकार अंगूठे से बड़ा नहीं होना चाहिए।

● शिवलिंग की पूजा करते समय हमेशा शिवलिंग को उत्तर की ओर होना चाहिए, उत्तर की ओर मुंह करके शिवलिंग पर जल चढ़ना चाहिए, क्योंकि उत्तर दिशा (माना जाता है कि यह दिशा माता पार्वती को अत्यंत पसंद है) और इस दिशा में जल चढ़ाने से माता पार्वती और शिव जी दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


● शिवलिंग जिस धातु का बना होता है उसी धातु की उसकी पीठ भी बनी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।

● शिवलिंग के ऊपर कभी भी केतकी का फूल नहीं चढ़ना चाहिए

● शिवलिंग पर कभी भी हल्दी चढ़ाना नहीं चाहिए।

● शिवलिंग पूजा करते समय कभी भी तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाने चाहिए।

● शिवलिंग की पूजा करते समय ओम नमः शिवाय मन त्र का जप करते रहना चाहिए ओम नमः शिवाय मंत्र को मंत्रों का राजा कहा जाता है। इस मंत्र के जापान से और शिव जी का अभिषेक करने से साधक के सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

शिवलिंग की पूजा करते समय कभी भी प्लास्टिक लेने वाला दूध चढ़ाना नहीं चाहिए। 

●नर्मदा नदी से प्राप्त शिवलिंग घर में रखना बहुत ही शुभ माना जाता है।

● बाणलिंग (शिवलिंग) के पूजन में प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती।

● घर में रखें शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा नहीं करनी चाहिए।

● शिवलिंग पर कभी भी सिंदूर नहीं चढाना चाहिए।

घर में कैसे करें शिवलिंग पूजा:-


सर्वप्रथम साधक को प्रातः काल मे उठना चाहिए।

पूजन करते समय पूजन सामग्री को क्रम के अनुसार जमा करना चाहिए। सर्वप्रथम भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए।

यदि गंगाजल बनाएं तो शुद्ध जल के लोटे में दो बूंद गंगाजल की डाल देने से वह भी गंगाजल बनती है। उसी से अभिषेक करें, तो अति उत्तम माना जाता है।

इसके बाद गाय के दूध से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।

●दूध से अभिषेक करने के बाद शुद्ध जल से शिवलिंग को स्नान करवाना चाहिए।

● इसके चलते    भगवान शिव का ओम नमः शिवाय मंत्र के द्वारा घृत से अभिषेक करना चाहिए।

●किसी के सामने भगवान शिव का दही से अभिषेक करना चाहिए।

● इसके द्वारा भगवान शिव के शिवलिंग का फिर गंगा जल से स्नान किया जाना चाहिए।

● इसके बाद मधु से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए।

●मधु से स्नान किए जाने के बाद शुद्ध जल से शिवलिंग पर स्नान किया जाना चाहिए।

●मधु से स्नान किए जाने के बाद फिर गंगाजल से स्नान करना चाहिए।
● इससे जुड़ा हुआ स्नान करवाना चाहिए।

● इसके शिवलिंग को पंचामृत से 
 स्नान करवाना चाहिए

● फिर शुद्ध जल से स्नान कराकर शिवलिंग पर चढ़ाने योग्य फूल जैसे कि कनेर,नीलकमल, आदि चढ़ाना चाहिए।

●तो सब करने के बाद भगवान शिव को नैवैध अर्पित करना चाहिए।

● इसके बाद भगवान शिव की आरती करनी चाहिए और फिर प्रदक्षिणा करनी चाहिए।


 शिवलिंग की पूजा करते समय ध्यान देना चाहिए   कि चारों ओर गणेश जी का एवं पार्वती जी का भी चित्र हो।


शिवलिंग्ङेऽपि सर्वेषां देवानां पूजनं भवेत् ।

सर्वलोकमये यस्माचिछवशक्तिविर्भु: प्रभु: ।। 
 (वृहद् धर्मपुराण अ○57)  


उपयुक्त श्लोक के अनुसार यह बताया गया है कि शिवलिंग में सभी विश्व के वास होते हैं।

'देवो भूत्वा यजेद् देवम्'

यह वाक्य जो शास्त्रों में लिखा गया है, वह हमें अपने जिस ईश्वर को मानते हैं या जिस देवता की पूजा करते हैं, उसी के अनुसार हमारा बाहरी रूप और भीतर का भी रूप होना चाहिए इससे उपासना का शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।




शास्त्रों में कई प्रकार के शिवलिंग के निर्माण की विधि बताई गई है।


पुष्प लिंग:- 

को बनाने के समय कई प्रकार के फूल जो भगवान शंकर जी को चढते हैं।उनसे निर्मित किए जाते हैं कई फूल विभिन्न प्रकार के सौरभमय पुष्प होते हैं।

गन्ध लिंग:-
2 भाग कस्तूरी 4 भाग चंदन और 3 भाग कुमकुम से बनाते हैं



यवगोधूमशालिजलिंग :-


यह एक विशेष प्रकार का शिवलिंग होता है जो कि गेहूं के चावल को समान मात्रा में लेकर इनका आटा बनवाकर कर इस शिवलिंग का अनावरण करता है।

इसी प्रकार शक्कर, से नमक, से गुड, से भस्म आदि सभी शिवलिंग का निर्माण किया जाता है, लेकिन इनका निर्माण करते समय हमेशा इन फलों के होश से इनका निर्माण किया जाता है।


और सबसे बड़ी बात यह है कि मुख्य रूप से पारद लिंग, स्फटिक लिंग, स्वर्ण लिंग, धातुमय लिंग, नीलम, आदि और रत्नों से बने शिवलिंग का विशेष महत्व बताया गया है।

डिस्क्लेमर:-
इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रमाणिकता या प्रमाणिकता या प्रमाणिकता सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/पुराण/धार्मिक वसीयतनामा/धर्म ग्रंथों से सांकेतिक रूप से सूचना देकर आपको प्रेषित की गई है। 











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