लिंग पुराण के अनुसार महादेव जी के निवास स्थान का वर्णन
कैलाश और वहां की परिस्थितियों का वर्णन इस लेख में किया गया है यह लेख श्री लिंग महापुराण से लिया गया है।
सूत जी बोले कि बड़ी-बड़ी चोटियों वाली अत्यंत सुंदर स्वर्ण माणिक्य, नीलम ,गोमेद, तथा अन्य बहुमूल्य मणियों से निर्मित पवित्र सौ हजार शाखाओं से सभी प्रकार के वृक्षों से मंडित ।
चंपक ,अशोक, पारिजात से परिपूर्ण अनेक प्रकार के पक्षियों से भरे हुए सैकड़ों प्रकार के अद्भुत पुष्पों से युक्त नीचे तक लटकती हुई पुष्प शाखाओं से युक्त नाना विधि पुष्पों के समूह से भरे हुए , जल सरोवर एवं उन में तैरते हुए पुष्पगुच्छ से
सुशोभित देवकुंड पर्वत पर उसके मध्य में मनोहर बड़वाली गहरी जड़ों वाले , मनोहर फलो से युक्त ,मनोहर घनी छाया वाली, 10 योजन मंडल कला तथा अधिक भूतों के निवास स्थानों से समन्वित भूत वन नामक वन है ।
वहां महादेव महात्मा भगवान शंकर का कांतिमय निवास स्थान है ।वह नाना प्रकार से विभूषित स्वर्ण की चार दीवारों से युक्त मणियो से मंडित स्फटिक के बने हुए स्तंभ को पूर्व संयुक्त नाना पदार्थों से युक्त भूमि पर इधर-उधर अस्त्रों से ढके हुए शिव जी के द्वार पर कभी भी नहीं मुरझाने वाले अनेक रंग के फूलों से विभूषित सुंदर ।
स्फटिक के भवन वाले अग्नि स्तंभों के बीच ब्रह्मा, इंद्र, उपेंद्र के द्वारा पूजित बंधुओं से वराह, गज ,सिंह के समान मुख वाले पर्वत के शिखर के ऊपर , भगवान शिव जी के समाधि स्थल, देवताओं तथा महापुरुषों से युक्त निवास स्थान सुशोभित है।
वहां देवता लोग भूपति शिवजी की नित्य पूजा करते हैं असंभव तथा विभिन्न आकार वाले विभिन्न आसनों पर बैठे हुए ब्रह्मा, विष्णु, के तुल्य।
राज मंदिर मे प्रथम गण झाँझ, मृदंग, गोमुख वाद्य यंत्र ,द्वारा ललित मधुर गानों के द्वारा नाचने कूदने के साथ गंधर्व प्रति दिन महादेव की पूजा करते हैं ।
ऋषि, देवता,गंधर्व ,महात्मा, ब्रह्मा, इन्द्र, आदि अन्य लोग शंकर की पूजा करते हैं। और वह सुंदर शिखर दो भागों में बटा हुआ है।
कैलाश मे महात्मा कुबेर का तथा अन्य महात्माओं का निवास स्थान है ।वहां देवाधिदेव शिव का विशाल भवन है। शिवजी उस भवन में अपनों के साथ विराजमान रहते हैं।
वहां कुबेर के सुंदर शिखर पर बहुत ही शुद्ध जल से भरी हुई और पुष्पों से युक्त मंदाकिनी नदी है। वह पुण्य दायिनी और पवित्र स्पर्श गुणों से युक्त है।
स्वर्ण कमलों, बैतूल के पत्तों,गंध युक्त ,महापद्मा से अलंकृत तथा गंधर्व की स्त्रियों से सेवित एवं देवता, दानव, गंधर्व ,यक्ष राक्षस हैं। इसके उत्तर भाग में शिव जी का भवन है वहां अविनाशी शंकर निवास करते हैं ।
उसके पूर्व दक्षिणी गंगा के तट पर हजारों पशु और पक्षियों से भरा हुआ एक वन है ।वहां भी कैलाश तुल्य भवन में शिवजी उमा निवास करते हैं ।
नंदा के पश्चिमी तट पर थोड़ी दूर दक्षिण में रुद्रपुर है। है वहां शिवजी गंगा धारण करके उमा से नित्य मिला करते हैं, उसे शिवालय कहा जाता है।
इस प्रकार श्रेष्ठ पर्वतों पर, वनों में नदी के तटों पर सब पर भगवान शिव के सैकड़ों हजारों निवास स्थान है।
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