शिव कथा चंच्चुला की भावना से ब्राह्मण का उसे पूरा शिवपुराण सुनाना


शिव पुराण से यह प्रसंग लिया गया है।

ब्राह्मण बोले कि बेटी बड़े सौभाग्य की बात है ,कि भगवान शंकर की कृपा से शिव पुराण की  कथा को सुनकर तुम्हें समय पर ज्ञान  हो गया है ।


ब्राम्हण  बोले कि भगवान शिव की शरण में जाओ, शिव की कृपा से सारा पाप तत्काल नष्ट हो जाता है ।मैं तुमसे भगवान शिव की कृपा से युक्त परम वस्तु का वर्णन करूंगा, जिससे तुम्हें सदा सुख देने वाली उत्तम गति प्राप्त होगी ,शिव की उत्तम कथा सुनने से तुम्हारी बुद्धि इस तरह पश्चाताप से युक्त हो गई है कि तुम्हारे मन में विषयों के प्रति वैराग्य हो गया है।


पश्चाताप करने वाले पापियों के लिए सबसे  पहले पश्चाताप पाप को मिटा देता है। सबके लिए यह ही समस्त पापों का शोधक बताया है ।


पाश्चाताप  से ही पापों की शुद्धि होती है ,जो पश्चाताप करता है ,वही वास्तव में पापों का प्रायश्चित करता है । इसलिए,  समस्त पापों की शुद्धि के लिए ही इसका  उपदेश किया है।


जब मनुष्य  पश्चाताप से संपन्न हो जाता है,तो वह आगे  चलकर निर्भय हो जाता है।  प्राय: उत्तम गति नहीं प्राप्त होती है। लेकिन  जब  मनुष्य किये हुए पापो का सच्चे मन से पश्चाताप करता है तो अवश्य  उत्तम गति का भागी होता है।


इसमें संशय नहीं है,  इससे जैसी  शुद्धि  होती  है वह किसी  दूसरे साधन  से नहीं होती है ।जैसे दर्पण साफ करने पर निर्मल हो जाता है ,उसी प्रकार पाश्चाताप करने से ह्रदय  शुद्ध हो जाता है। मनुष्य  के शुद्ध  ह्रदय मे पार्वती सहित भगवान शिव विराजमान रहते हैं।

  भगवान शिव जी की आराधना का श्री फल भक्तों को प्राप्त होता है। तथा समस्त मनुष्य के लिए यह कर्तव्य है कि शिव पुराण की  उचित सेवा करनी चाहिए।

 यह रोग का नाश करने वाली है ,भगवान शिव की कथा कहना  एवं करना चाहिए  , इससे महेश्वर प्रसन्न होते है।

क्योंकि मनुष्य का चित् माया के बंधन से मुक्त नहीं हो पाता है, इसलिए भक्ति भाव से  परमात्मा शंकर की कथा को सुनने से चित्त की शुद्धि होगी, इससे  मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी ।


मोक्ष तो भगवान शिव के चरणों का चिंतन करते ही हो जाता है। सत्य , सत्य, कहता हूं। यह सुनकर   चंचुला  आनंद के कारण   उनके दोनों चरणों में गिर पड़ी, और हाथ जोड़कर बोली मैं कृतार्थ हो गई ।


और  महा शिव भक्त ब्राह्मण  को  हाथ जोड़कर धन्यवाद  दिया   और कहा हे  शिव भक्ति में लीन  स्वामी आप धन्य हैं, और सदा परोपकार में लगे रहते हैं।

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