Shiv Katha जब शिव स्वयं वर बनकर हिमालय पहुँचे: ब्राह्मण वेश में महादेव की कथा


भगवान शिव का ब्राह्मण वेश: पार्वती की परीक्षा

भगवान शिव जब पार्वती जी की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न हुए, तो उन्होंने एक ब्राह्मण का वेश धारण किया और पार्वती की परीक्षा लेने स्वयं हिमालय पहुँचे। वहाँ उन्होंने देवी पार्वती से कहा—

"हे कन्या! तुम जिस तपस्वी को पति रूप में प्राप्त करना चाहती हो, वह तो श्मशानवासी, अस्थियों का भस्म लगाए रहने वाला, सर्पों से भूषित, और गृहस्थ धर्म से विरक्त एक योगी है। तुम्हें किसी राजकुमार को वरना चाहिए, न कि उस उन्मत्त शिव को।"

पार्वती जी ने शांत चित्त से उत्तर दिया— "हे ब्राह्मण! आप चाहे शिवजी को जितना भी निंदित करें, मेरे लिए वे ही सर्वश्रेष्ठ हैं। वे ही मेरे आराध्य, मेरे स्वामी हैं, और मैं उन्हें ही अपने पति रूप में वरण कर चुकी हूँ।"

पार्वती की यह अडिग श्रद्धा और प्रेम देखकर भगवान शिव अपने वास्तविक रूप में प्रकट हो गए और कहा— "हे पार्वती! तुम्हारी भक्ति ने मुझे बाँध लिया है। अब मैं तुम्हारा हूँ।"

— शिव पुराण से प्रेरित

📌 डिस्क्लेमर (Disclaimer):


> यह लेख "शिव पुराण" से प्रेरित है और इसमें वर्णित कथा का उद्देश्य केवल आध्यात्मिक अध्ययन और शिवभक्तों के लिए प्रेरणा देना है। इसमें प्रयुक्त चित्र डिजिटल आर्ट के रूप में निर्मित है जो केवल प्रतीकात्मक दर्शन हेतु है। यह ब्लॉग किसी प्रकार की व्यावसायिक या धार्मिक वाद-विवाद के लिए नहीं है।




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