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Shiv puja (शिव एवं भील युवक)


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         शिव पूजा  


भगवान शिव की पूजा में श्रद्धा का बहुत महत्व है। भगवान शिव की पूजा भले ही आप जप, तप, यज्ञ, रुद्राभिषेक, से करें परन्तु भगवान शिव को कर्मकांड की पकौड़ी शुद्ध भक्ति प्रिय है।


और शुद्ध भक्ति में श्रद्धा का होना नितांत आवश्यक है, इस बात को समझने के लिए हम एक भी दृष्टांत देते हैं।


किस तरह से भील ने जो कि उच्च जाति से भी नहीं था, एवम अनपढ़ था, कर्मकांड भी नहीं जानता था, पूजा नहीं जानता था। लेकिन उनके श्रद्धा और समर्पण से भगवान शिव ने उन्हें साक्षत दर्शन दिया आइए देखते हैं इस दृष्टान्त के द्वारा








निवेदन 

अनन्त, अगोचर, अनादि, परब्रह्मपरमेश्वर शिव 


भगवान शिव अनंत हैं, भगवान शिव की तुलना किसी से भी नहीं की जा सकती है, ऐसे में प्रभु का मै दिन -रात स्तूवन करता हूं उनकी सीढ़ियों की सेवा करता हूं।

एक भक्त की कहानी :- 

एक बार की बात है, एक जंगल मे भील युवक रहा था। वह भी युवक जंगल में शिकार करता था।

एक दिन संयोग से वह उसका शिकार करते हुए दूर चला गया और उसके पास कई तेज पत्ते आ गए, पानी पीने के लिए जैसे वह एक नदी पर गया हो।

तभी उनका दर्शन भगवान शिव जी के शिवलिंग पर पडी, उन्हें ऐसा लगा कि कोई उन्हें अपनी ओर खींच रहा है।

एवं वह शिवलिंग के पास जब पहुंच तो भावविभोर हो गए। 

और वह मांस का टुकड़ा ले आया और प्रभु के मुख पर मल दिया उसने कहा हे प्रभु अब लग रहा है कि तेरी भूख मिट जाएगी।


फिर उसने जल अर्पण किया और उसके बाद वह घर लौट आया।

मंदिर का पुजारी 

शाम के समय जब मंदिर का पुजारी उस मंदिर में पहुंचा, तो यह देखकर अवाक रह गया, कि कौन भगवान शिव के ऊपर मांस चढ़ा है?


उन्होंने कहा कि कौन ऐसा नासमझ मूर्ख व्यक्ति आया है?

फिर उन्होंने शिवलिंग को अच्छी तरह से धोकर साफ किया, शिवलिंग को धोने के बाद, पूजा पाठ कर चंदन चढ़ा कर वापस अपने घर चले गए।

दूसरे दिन भील युवक फिर आया,एवं मांस का टुकड़ा भगवान भोलेनाथ के ऊपर चढ़ाया और उसी तरह पूजा पाठ करके घर चला गया।

शोक की शाम को पंडित जी फिर आए फिर उन्होंने देखा कि मांस का टुकड़ा शिव जी के ऊपर चढ़ा हुआ है।

उन्होंने सोचा कि यह माँ का टुकड़ा कौन चढ़ाता है ?

मुझे देखना चाहिए, कि यह कार्य कौन करता है ? इस तरह सोच कर के पंडित जी ने शिवलिंग को धोआ और शिवलिंग साफ करने के बाद पूजा की फिर शाम को घर लौट आएं।

मंदिर के पुजारी के स्वप्न :-






शोक पंडित जी जब सो गए तब भगवान शिव उनके सपने में आए और कहने लगे कि हे पंडित जी भील युवक जो है, मेरा सबसे प्रिय भक्त है।


तब पंडित जी ने कहा कि प्रभु यह आपके ऊपर मां का टुकड़ा चढ़ाता है। भगवान शिव मुस्कुराए और बोले, यदि उनकी भक्ति देखना चाहते हैं तो कल मंदिर में आइए।


सपने के अनुसार पंडित जी दोपहर को मंदिर में गए, तभी उन्होंने कुछ अद्भुत दृश्य देखे।

भील भक्त की अपनी आंखों को शिव पर चढ़ना

भील युवक बतायाहाशा भागा हुआ आया तभी भील युवक को एक याद आया कि आज मेरे प्रभु प्रकाशा हैं,

उन्होंने कुछ नहीं खाया इसलिए जूते मंदिर में सहित चढ़ गए।


मंदिर में जैसे घुसा तो उसने देखा,रक्त के चक्कर मंदिर में पड़ा है उसने कहा भाई यह खून कहां से आ रहा है।


जैसे-जैसे आगे बढ़ा तो उसने देखा भगवान शिव की एक आंख से खून बह रहा है।


उसने अपने हाथों से शिव जी की आंखों को देखा लेकिन फिर भी रक्त गैर-अभिलेख का नाम नहीं ले रहा था।

फिर वह भागकर जंगल में चला गया और अपनी जानकारी के अनुसार जो हर्ब बूटी थी उसे लेकर आया उस जड़ी बूटी को लेकर उसने भगवान शिव की आंखों पर मला, लेकिन फिर भी रक्त चिह्न का नाम नहीं ले रहा था।

यह देख कर के वह  बड़ा परेशान हो गया, सोचा कि हे प्रभु मुझसे  क्या गलती हो गई, मैं क्या करूं? कि आपकी आंख से खून निकलना बंद हो जाए, उसने  कई प्रकार के उपाय किए, लेकिन खून का निकलना बंद नहीं हुआ ।

तब तक उसके मन में आया कि क्यों ना? अपनी एक आंख  प्रभु  की आँख पर लगा दू ,तो हो सकता है, ।

उससे  खून बंद हो जाए बस उसने अपनी बायी आंख को अपने तीर की नोक से निकाल दिया और निकाल कर के प्रभु की बायी आंख पर लगा दिया,।


जैसे ही आंख लगी खून का निकलना बंद हो गया ।


युवक जोर से चिल्लाया वाह रे खून निकलना  बंद हो गया है। 

तभी उसने देखा कि भगवान शिव की दाई आंख से भी खून निकल रहा है  यह देखकर  वह घबरा गया उसने कहा कि मुझे लगता है ,कि मुझे अपनी दाहिनी आंख भी  चढ़ाना पडेगी।

तब जाकर भगवान  की आँखों से खून निकलना  बंद होगा।

 यह कह कर उसने भगवान की दाहिनी आंख को पाँव  के अग्र भाग (अंगूठे ) से दबायें  रखा ।


जिससे कि अपनी दाहिनी आँख को निकालते समय प्रभु की दाहिनी आँख का स्थान बराबर एवं  सही जगह पर हो  ,

भगवान शिव का साक्षात दर्शन 

इसलिए अपने पैर को उनकी आंख पर दबाए रखा और तीर की नोक से अपनी दाहिनी आंख को जैसे ही निकालने को हुआ, तभी  भगवान शिव साक्षात प्रकट हो गए और बोले  कि नहीं बेटा ,अब नहीं अब मुझसे नहीं देखा जाएगा ।


और उनके हाथ के कोमल स्पर्श से भील युवक की आंखें वापस आ गई, सारा दर्द चला गया ।


भील युवक भगवान के चरणों में लेट गया बोला प्रभु  आप मुझसे खुश है ,मुझे अपने मन की सारी मुरादें मिल गई।


यह देख कर के पंडित जी की  आंखें भर आई।

शिव धाम मे प्रस्थान 

वह जाकर  भगवान शिव के चरणों में गिर पड़े इसके बाद भगवान  शिव भील युवक को लेकर अपने  धाम चले गए।

भक्ति भाव से होती है कर्म से नहीं भगवान शिव भोले भंडारी हैं मनुष्य के भाव को देखते हैं उसका भाव क्या है पूजा के  ढंग को नहीं।

 ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय, ओम नमः शिवाय,

 हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव, हर हर महादेव



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