
शिव पुराण का महत्व सनातन धर्म में अद्वितीय और अनुपम है। यह ग्रंथ केवल भगवान शिव की महिमा का वर्णन ही नहीं करता, बल्कि जीवन के गहरे रहस्यों, भक्ति, कर्म और मोक्ष मार्ग की स्पष्ट व्याख्या भी करता है। शिव पुराण में वर्णित कथाएँ साधक को भक्ति, श्रद्धा और तप के मार्ग पर अग्रसर करती हैं। इसमें भगवान शिव की लीला, उनके दार्शनिक स्वरूप, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और धर्म के मूल तत्वों का गहन विवरण मिलता है।
आज के समय में जब मनुष्य शांति और समाधान की तलाश में है, शिव पुराण उसका मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला अमृतस्रोत है। शिव पुराण का श्रवण और मनन करने से साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और आत्मा को परमात्मा से जुड़ने का मार्ग मिलता है। यही कारण है कि शिव पुराण को वेदों और उपनिषदों के समान ही पवित्र और कल्याणकारी माना गया है।शिव पुराण का महत्व सनातन धर्म में अद्वितीय और अनुपम है। यह ग्रंथ केवल भगवान शिव की महिमा का वर्णन ही नहीं करता, बल्कि जीवन के गहरे रहस्यों, भक्ति, कर्म और मोक्ष मार्ग की स्पष्ट व्याख्या भी करता है। शिव पुराण में वर्णित कथाएँ साधक को भक्ति, श्रद्धा और तप के मार्ग पर अग्रसर करती हैं। इसमें भगवान शिव की लीला, उनके दार्शनिक स्वरूप, ब्रह्मांड की उत्पत्ति और धर्म के मूल तत्वों का गहन विवरण मिलता है।
आज के समय में जब मनुष्य शांति और समाधान की तलाश में है, शिव पुराण उसका मार्गदर्शन करता है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन की दिशा दिखाने वाला अमृतस्रोत है। शिव पुराण का श्रवण और मनन करने से साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और आत्मा को परमात्मा से जुड़ने का मार्ग मिलता है। यही कारण है कि शिव पुराण को वेदों और उपनिषदों के समान ही पवित्र और कल्याणकारी माना गया है।
शिव पुराण का महत्व
शिव पुराण से यह प्रसंग लिया गया है। श्री सनतकुमार जी ने महाज्ञानी सूत जी से पूछा कि साधु पुरुष किस प्रकार अपनी मानसिक परेशानियों को दूर करते हैं? इस घोर कलिकाल में जीव आसुरी स्वभाव के हो गए हैं। उन्हें शुद्ध और देवी-संपत्ति युक्त बनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय क्या है?
सूत जी ने कहा – मुनि श्रेष्ठ, तुम्हारे हृदय में पुराण कथा सुनने की विशेष प्रेम एवं लालसा है। शिव पुराण संपूर्ण शास्त्रों का सार है। यह भक्ति को बढ़ाने वाला, भगवान शिव की प्राप्ति कराने वाला और पाप का नाश करने वाला है।
पूर्वकाल में स्वयं भगवान शिव ने कहा था कि यह पुराण कालरूपी सर्प से उत्पन्न क्लेश का नाश करने वाला है। यह कलयुग में पापों का क्षय करने का अंतिम साधन है। इसका पाठ करने से अंतःकरण शुद्ध होता है और शिवलोक की प्राप्ति होती है।
शिव पुराण 24,000 श्लोकों से युक्त है। इसका अध्ययन और पाठ सर्वोत्तम माना गया है। जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करता है, वह जीवन में सभी पापों से मुक्त होकर अंत में शिव के परम धाम को प्राप्त करता है।
इसलिए, सदा प्रेमपूर्वक इस उत्तम शिव पुराण का पाठ करना चाहिए।
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