नाग पंचमी 2025: भगवान शिव और नागों का पौराणिक रहस्य व महत्व

 

नाग पंचमी: देवत्व और प्रकृति का दिव्य उत्सव



नाग पंचमी भारतीय संस्कृति का एक पावन पर्व है जो श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है। यह पर्व नागों की पूजा का प्रतीक है और इसका संबंध भगवान शिव तथा नागराज वासुकी से अत्यंत गहरा है।

🔱 नाग पंचमी का आध्यात्मिक महत्व

नाग पंचमी केवल नागों की पूजा नहीं है, यह प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व की भावना का उत्सव है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नाग सर्पों को भगवान शंकर का हार माना गया है। उनकी पूजा से सर्पदोष, कालसर्प दोष, और अन्य पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है।

📖 पौराणिक कथा

शेषनाग का पौराणिक महत्व

शेषनाग को अनंत, आदिशेष या वासुकी भी कहा जाता है। यह भगवान विष्णु के शय्या स्वरूप में विद्यमान हैं। पुराणों के अनुसार जब सृष्टि का प्रलयकाल आता है, तब संपूर्ण ब्रह्मांड को यही शेषनाग अपनी कुंडलियों में समेट लेते हैं।


इस दिन क्यों वर्जित होता है भूमि खुदाई?

नाग पंचमी के दिन भूमि खुदाई वर्जित मानी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन नाग लोक से नाग धरती पर विचरण करते हैं। किसी नाग को अनजाने में नुकसान न हो, इसलिए यह नियम बना है।


कथा के अनुसार एक बार एक किसान के बेटे ने नाग को मार दिया। नाग माता ने प्रतिशोध लिया और परिवार को हानि पहुँचाई। पश्चाताप में जब पुत्रवधू ने पंचमी के दिन नागों की पूजा की, तो नाग माता प्रसन्न हुईं और मृत जनों को जीवनदान मिला। तभी से नाग पंचमी पर पूजा की परंपरा शुरू हुई।

🌿 नाग पंचमी की पूजा विधि

  • नदी किनारे अथवा घर के आंगन में नागों का चित्र या प्रतिमा बनाकर पूजन करें।
  • दूध, अक्षत, पुष्प, दूर्वा, हल्दी-रोली अर्पण करें।
  • “ॐ नमः नागाय” या “ॐ नमः शेषनागाय” मंत्र का जप करें।
  • ब्राह्मणों को दान देने की परंपरा है।

🕉️ आध्यात्मिक संदेश

नाग पंचमी का पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति के प्रत्येक जीव का सम्मान करें। शेषनाग केवल एक नाग नहीं, बल्कि सहनशीलता और शक्ति के प्रतीक हैं।

🌏 नाग पंचमी और पर्यावरण

आज के युग में जब वन्यजीव संकट में हैं, नाग पंचमी हमें यह सिखाती है कि प्रकृति की हर जाति पूज्यनीय

हर नाग पंचमी पर शिव की कृपा बनी रहे, और हम सभी जीवन के चक्र में सामंजस्य से जीना सीखें।
हर हर महादेव।

यह लेख शास्त्र और परंपराओं के आधार पर तैयार किया गया है। पाठक स्वयं विवेक से निर्णय लें।

स्वयं विवेक से निर्णय लें।

🔔 डिस्क्लेमर:

इस लेख में वर्णित कथाएं व विचार शिव पुराण एवं अन्य धर्मग्रंथों से प्रेरित हैं। इनका उद्देश्य केवल आध्यात्मिक जागरूकता और संस्कृति संवर्धन है। प्रयुक्त चित्र व सामग्री भावनात्मक अभिव्यक्ति हेतु हैं, जिनका कोई व्यावसायिक लाभ उद्देश्य नहीं है।

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